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सीजफायर का सच! आतंकियों को एकत्र करो और धकेलो...

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। माना की सीमाओं पर सीजफायर हैं, लेकिन वे सब हरकतें पाकिस्तान की ओर से बंद नहीं की गई हैं जिनके कारण राज्य में खून खराबा हो रहा है। सेना कहती है कि अब पाकिस्तानी सेना एलओसी से एक दो के दलों में आतंकवादियों को इस ओर धकेल रही है तो सेना के ही मुताबिक, एलओसी के उस पार पाकिस्तानी सीमा चौकियों ओं पर बड़े पैमाने पर आतंकवादियों को एकत्र करने का सिलसिला कभी रूका नहीं है।
 
सेना कहती है कि इसके स्पष्ट मायने यही हैं कि पाकिस्तान सीजफायर के समाप्त होते ही आतंकवादियों को बड़ी संख्या में इस ओर धकेलने का प्रयास करेगा। स्पष्ट शब्दों में कहें तो पाकिस्तानी सेना सीजफायर के मायने आतंकवादियों को खुल्लमखुल्ला तौर पर अपनी सीमा चौकियों पर एकत्र करने और उन्हें ट्रेनिंग देने के तौर पर ले रही है। इसका खुलासा सेना भी अब करने लगी है, जो एलओसी के पास पाकिस्तानी सीमा चौकियों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। 
 
रक्षाधिकारियों के अनुसार सीजफायर के पहले ही दिन से एलओसी से सटी पाकिस्तानी सेना की अग्रिम सीमा चौकियों पर सादे कपड़ों में आने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है। ये सैनिक नहीं हैं बल्कि वे आतंकवादी हैं जिन्हें इस ओर धकेलने के लिए एकत्र किया जा रहा है।
 
सेना की उत्तरी कमान के मुख्यालय में तैनात सेनाधिकारियों की ओर से भी इसकी पुष्टि की जा चुकी है कि एलओसी के पार आतंकवादियों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। फिलहाल वे इनकी सही संख्या बता पाने में तो सक्षम नहीं हैं लेकिन अंदाजन यह संख्या 10 हजार के लगभग बताई जा रही है। ये सभी 814 किमी लंबी एलओसी के उस पार पाकिस्तानी सीमा चौकिओं पर तैनात हैं।
 
इन्हीं अधिकारियों के बकौल, सिर्फ आतंकवादियों को सीमा चौकियों पर तैनात ही नहीं किया गया है बल्कि उन्हें ट्रेनिंग भी दी जा रही है और भारतीय सैनिकों की मजबूरी यह है कि जिस सीजफायर का लाभ उठाते हुए पाकिस्तानी सेना ऐसा कर रही है वही सीजफायर भारतीय जवानों के लिए बाधा बन गया है।
 
बताया तो यह भी जा रहा है कि इन अग्रिम सीमा चौकियों पर एकत्र किए गए आतंकवादियों में से कुछेक को एक-दो के दलों में भारतीय सीमा में प्रतिदिन धकेला जा रहा है। भारतीय सेना की कठिनाई यह है कि ऊबड़-खाबड़ और नदी-नालों से परिपूर्ण एलओसी पर आतंकवादियों के एक-दो के दलों को रोक पाना उसके लिए संभव नहीं है। रक्षाधिकारी कहते हैंकि चप्पे चप्पे पर चाहे जवान तैनात कर लिए जाएं एक दो आतंकवादी आर-पार आसानी से हो सकता है।
 
स्थिति यह है कि जो सीजफायर भारतीय जवानों को भी सीमावर्ती नागरिकों को ही तरह राहत दे रहा है वही अब पाकिस्तान की गुपचुप चालों के कारण किसी भी समय मुसीबत के रूप में सामने आ सकता है कि चेतावनियां भी सैन्य अधिकारी देने लगे हैं। 
 
असल में सेना की सबसे बड़ी परेशानी सीमा पार से होने वाली घुसपैठ है और बर्फबारी होने के कारण कई इलाकों में सेना गश्त कर पाने में सक्षम नहीं होती है और उन्हीं इलाकों तथा परिस्थितियों का लाभ अब पाकिस्तान द्वारा सीजफायर की घोषणा के बीच उठाया जा रहा है।
 
सूचनाओं के मुताबिक, पुंछ सेक्टर में हाजीपर दर्रे के साथ सटे इलाके में कुछ दिन पहले ही घुसपैठ करने में कामयाब हुए आतंकवादियों का सामान तो बरामद कर लिया गया, लेकिन वे पकड़े नहीं जा सके। सूत्रों के अनुसार, अधिक भार होने के कारण ही आतंकवादियों ने दुर्गम क्षेत्रों में अपने सामान को त्याग दिया होगा।
 
हालांकि सेना द्वारा एलओसी पर सतर्कता तथा चौकसी को और बढ़ाया गया है, लेकिन पाकिस्तान जिस प्रकार सीजफायर का लाभ उठाने को प्रयासरत है उससे सेनाधिकारियों को लग रहा है कि आने वाले दिन भयानक साबित होंगें। ऐसी शंका इसलिए प्रकट की जा रही है क्योंकि वे जानते हैं कि युद्धविराम की समाप्ति के तुरंत बाद आतंकवादियों को इस ओर धकेलने की खातिर पाक सेना भीषण गोलाबारी आरंभ कर देगी।

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