अयोध्या। जनक दुलारी माता सीता की नगरी जनकपुर (नेपाल) और भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या का रिश्ता तो त्रेता युग से जग जाहिर है। अब कलयुग में माता जानकी की नगरी से भगवान राम की प्रतिमा के लिए शालिग्राम (या देवशिला) पत्थर लाए गए हैं। इसी को लेकर नेपाल के जनकपुर से शालिग्राम पत्थर करीब 6 दिन का लंबा सफर पूरा कर बुधवार देर रात अयोध्या पहुंचा। यह शिलाएं करीब 6 करोड़ साल पुरानी बताई जा रही हैं।
अयोध्या में भगवान राम लला की प्रतिमा निर्माण के लिए शालिग्राम शिलाओं का अयोध्या के राम सेवकपुरम परिसर में 51 आचार्य और अयोध्या के संतों महंतों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजन अर्चन किया गया। इसके बाद इन्हें श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के पदाधिकारियों को सौंप दिया गया। पूजन कार्यक्रम में यजमान की भूमिका में नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री बिमलेंद्र और जनकपुर मंदिर के महंत रामेश्वर दास जी उपस्थित रहे।
शिलाओं पर भगवान श्री राम का नाम भी लिखा। इस दौरान ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सहित क्षेत्र के तमाम पदाधिकारी भाजपा के वरिष्ठ नेता के साथ मुस्लिम समाज के लोग भी शामिल हुए। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल बताया कि नेपाल से सड़क मार्ग होते हुए रामनगर अयोध्या में यह देव शिला 6 दिन में पहुंची है। ऐसा लग रहा है कि त्रेता युग आ गया और जनकपुर उठकर अयोध्या आ गया है।
वहीं राम नगरी अयोध्या के समाजसेवी व श्रीराम के भक्त बबलू खान ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों में इतना उमंग और उत्साह पहली बार देखा जा रहा है। श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सतेन्द्र दास ने कहा कि अयोध्या और नेपाल का संबंध विशेष कर जनकपुर से है। जनकपुर श्रीराम का ससुराल है और माता सीता का ससुराल अयोध्या है। दोनों जगहों का संबंध प्राचीन काल से ही मधुर है। जो ये शिला आई उससे जनकपुर का सीधा जुड़ाव होगा। इस शिला से माता सीता और श्रीराम कि प्रतिमा बने, इससे अयोध्या और जनकपुर के संबंध और मधुर बनेंगे।
नेपाल के पोखरा गंड़गी से आए पुलराज ने कहा कि ये शिला शालिग्राम के चरण अमृत करोड़ों वर्षों तक तप करके देव शिला बनी हैं। हम लोग इसको देव शिला मानते हैं। हर देव शिला शालिग्राम शिला नहीं होती है, लेकिन हर शालिग्राम शिला देव शिला मानी जाति है। इसीलिए इसे शालिग्राम के बराबर ही महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि शालिग्राम शिला नाम लोगों ने कैसे दिया यह हम नहीं जानते। हम लोग तो इसे देव शिला कहते हैं।
जनकपुर-अयोध्या का रोटी-बेटी का रिश्ता : नेपाल के पूर्व मेयर मनमोहन चौधरी ने कहा कि सबसे पहले हम अपने राष्ट्र कि तरफ से अयोध्या मे उपस्थित सभी लोगों का हार्दिक स्वागत करता हूं। हमारे देश के काली गंडगी से जो शिला आई है, वो हमारे लिए बहुत बड़े सौभाग्य कि बात है कि राम लला कि मूर्ति इससे बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि जैसा सभी को मालूम है कि जनकपुर-अयोध्या का सदियों पुराना संबंध है रोटी-बेटी का रिश्ता है, जो हमेशा बना रहेगा।
नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री बिमलेन्द्र मोहन ने बताया कि आज नेपाल और अयोध्या के लोगो मे काफ़ी ख़ुशी है। हम गर्व करते हैं कि हमारा जीवन सार्थक है। नेपाल सरकार गंडगी प्रदेश सरकार जानकी मंदिर, जनकपुरवासी और सारा नेपालवासियों की तरफ से हम ही शिला को लेकर आए हैं। ये शिला काली गंडकी नदी से प्राप्त हुई है। मुस्लिम समाज ने नेपाल के जनकपुर से आई शिलाओं को लेकर खुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि प्राचीन काल की शिलाएं अयोध्या रामजन्म भूमि पर पहुंची हैं। नेपालवासियों को कोटि-कोटि धन्यवाद।
6 करोड़ साल पुरानी हैं शिलाएं : उल्लेखनीय है कि नेपाल की पवित्र नदी गंडकी से लगभग 6 करोड़ वर्ष पुराना शालिग्राम पत्थर अयोध्या लाया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मुताबिक दो ट्रक पर यह शिला आई है। यह शिलाएं अलग-अलग 30 टन और 15 टन की बताई जा रही हैं। इनकी लंबाई लगभग 5 फुट से 7 फुट तक है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala