नई दिल्ली। दुनियाभर में देश के अधिकांश हिस्सों में मंगलवार मध्य रात्रि के बाद आंशिक चंद्र ग्रहण दिखाई दिया। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए लोगों में भारी उत्साह नजर आया। आज सुबह से गंगा, नर्मदा समेत सभी नदियों पर स्नान के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े। यह दुर्लभ संयोग 149 वर्षों के बाद बना था। इसके पूर्व ऐसा संयोग 12 जुलाई 1870 को बना था।
चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार रात करीब एक बजकर 31 मिनट पर शुरू हुआ। मध्यरात्रि 3 बजकर 1 मिनट पर सबसे बड़े आकार में दिखाई दिया, जिसमें चंद्रमा का 65 प्रतिशत हिस्सा पृथ्वी की छाया में रहा। ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग गहरा हो गया। यह सुबह चार बजकर 20 मिनट पर खत्म हुआ।
अरुणाचल प्रदेश के सुदूर उत्तर-पूर्वी हिस्से को छोड़कर भारत के अन्य सभी स्थानों से आंशिक चंद्र ग्रहण दिखाई दिया। गुरु पूर्णिमा के दिन 149 साल बाद चंद्र ग्रहण का संयोग बना।
इसे ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका तथा दक्षिणी अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों, सुदूर उत्तरी स्केंडिनेविया को छोड़कर पूरे यूरोप तथा पूर्वोत्तर को छोड़कर समूचे एशिया में भी देखा गया। आंशिक चंद्र ग्रहण दो घंटा 59 मिनट तक रहा। इसके बाद भारत में अगला चंद्र ग्रहण 26 मई, 2021 को दिखाई देगा।
सूतक ग्रहण लगने से नौ घंटे पहले से शुरू हो गया। चंद्र ग्रहण में गंगास्नान से एक हजार वाजस्नेय यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप ग्रहण के बाद स्नान के लिए गंगा तट नहीं जा सकते तो घर पर ही बाल्टी में गंगा जल डालकर स्नान करने से एक हजार वाजस्नेय यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।