काजीरंगा/गुवाहाटी। असम में आयी बाढ़ से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 150 से अधिक शिकार रोकथाम शिविर प्रभावित हुए हैं। हालांकि इस राष्ट्रीय उद्यान में शिकार पर लगाम लगाने के लिए अधिकारी 24 घंटे काम कर रहे हैं। कांजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है।
उन्होंने बताया कि उद्यान के कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी किसी भी संभावित घटना से निपटने के लिये देसी और मशीनीकृत नौकाओं की मदद से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
असम के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार राज्य के गोलाघाट और नगांव जिलों में स्थित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का 90 फीसदी हिस्सा अब तक जलमग्न है।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) के संभागीय वन अधिकारी रोहिणी बल्लभ सैकिया ने कहा कि वन सुरक्षाकर्मियों के अलावा राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) की टीम भी उद्यान के संवेदनशील स्थानों पर असम पुलिस के साथ तैनात है। केएनपी में 199 शिकार रोकथाम शिविर में से 155 बाढ़ के पानी से प्रभावित हैं।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में एक सींग वाले भारतीय गैंडे की दुनिया में सबसे अधिक आबादी है। यहां बाघ, हाथी, भालू (स्लॉथ बियर), बंदर और कस्तूरी हिरन जैसे अन्य जानवर भी हैं। कुछ जानवरों ने उद्यान के अंदर स्थित ऊंचे स्थानों पर शरण ली है और कई राष्ट्रीय राजमार्ग 37 को पार कर कार्बी आंगलोंग में ऊंचाई वाली जगहों पर चले गए हैं।
केएनपी का 90 प्रतिशत हिस्सा जलमग्न है हालांकि उद्यान के अंदर जलस्तर और पास के एनएच-37 से कुछ हद तक पानी घटा है, जिससे राजमार्ग पर मंगलवार को भारी वाहनों की आवाजाही बहाल हो गई।
सैकिया ने कहा कि यात्री बसों को उद्यान से होकर जाने की अभी अनुमति नहीं है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर अभी तक छह हादसों की जानकारी मिली है जिनमें पांच हिरन और एक चीतल की मौत हुई है। बाढ़ के दौरान विभिन्न कारणों से घायल हुए पांच अन्य जानवरों की भी मौत हुई है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन्य बल के प्रमुख ए एम सिंह ने उद्यान के कई इलाकों का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। अन्य प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन रंजना गुप्ता भी अभियान का जायजा ले रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से बात की और केएनपी समेत राज्य में बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया तथा हर संभव मदद का आश्वासन दिया।