नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उज्जैन के महाकाल के मंदिर स्थित ज्योतिर्लिंग में हो रहे क्षरण को रोकने के लिए उसका आरओ पानी के अभिषेक करने सहित कई निर्देश दिए हैं।
न्यायालय ने अब मंदिर प्रशासन को आठ सुझावों पर अमल करने के लिए हरी झंडी दे दी है, जिनमें शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले जल की मात्रा तय करना भी शामिल है।
न्यायालय ने ज्योतिर्लिंग पर 500 मिलीलीटर से अधिक जल न चढ़ाने, भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूखे सूती कपड़े से पूरी तरह ढंकने और तय मात्रा से अधिक पंचामृत न चढ़ाने के भी निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने शिवलिंग पर चीनी पाउडर के इस्तेमाल को भी वर्जित करने का निर्देश दिया है तथा इसके बदले खांडसारी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
शिवलिंग को नमी से बचाने के लिए ड्रायर व पंखे लगाए जाएंगे और बेलपत्र एवं फूल-पत्ती शिवलिंग के ऊपरी भाग पर चढ़ेंगे। शाम पांच बजे के बाद अभिषेक पूरा होने पर शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा होगी। न्यायालय ने कहा कि सीवर के लिए चल रही तकनीक आगे भी चलती रहेगी, क्योंकि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनने में एक साल लगेगा।
उज्जैन की सारिका गुरु की याचिका के बाद न्यायालय ने भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की टीमें गठित की थीं और ज्योतिर्लिंग के क्षरण की जांच का आदेश दिया था। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने शीर्ष अदालत में पिछले दिनों पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विश्वप्रसिद्ध भस्म आरती में कंडे की भस्म चढ़ाई जाती है, जिससे शिवलिंग का क्षरण हो रहा है। इसके अलावा महाकाल मंदिर के शिवलिंग पर दूध, दही, घी और शहद सहित शक्कर एवं फूलमाला से भी क्षरण हो रहा है। (वार्ता)