महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार को सदन में बहुमत का रास्ता साफ करने के लिए भाजपा ने अपना गेमप्लान पूरी तरह से तैयार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट से देवेंद्र फडणवीस सरकार को 24 घंटे की और मोहलत मिलने के बाद अब पार्टी अपनी व्यूहरचना को और मजबूत करने में जुट गई है। पार्टी ने अपने सीनियर नेताओं को फ्लोर टेस्ट के मैनेजमेंट की पूरी जिम्मेदारी सौंप दी है।
सदन के नियमों के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस सरकार को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। अगर भाजपा स्पीकर पद पर अपने उम्मीदवार को जिताने में कामयाब हो जाती है तो उसकी आगे की राह बहुत आसान हो जाएगी। ऐसे में भाजपा का पूरा ध्यान विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव करने पर लग गया है जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट में देवेंद्र फडणवीस के वकीलों की तरफ से दलील दी गई। संसदीय नियमों के जानकार साफ कहते हैं कि फ्लोर टेस्ट में विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका काफी अहम होती है तो फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव बेहद अहम हो जाता है।
अध्यक्ष पद पर चुनाव से पहले भाजपा विपक्षी खेमे के कई विधायकों को अपने पाले में करने में जुटी है। इसके लिए भाजपा ने उन नेताओं को अहम जिम्मेदारी सौंपी है जो भाजपा में आने से पहले कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना में रह चुके है। विपक्ष के विधायकों को अपने खेमे में लाने और फ्लोर टेस्ट में जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने नारायण राणे को अहम जिम्मेदारी सौंपी है।
भाजपा खेमा इस कोशिश में लगा हुआ है कि फ्लोर टेस्ट के समय कुछ विधायक अगर सदन से गैर हाजिर भी रहते है तो सरकार का काम बन जाएगा। अगर सत्तारुढ़ दल भाजपा विधानसभा अध्यक्ष पद पर अपने उम्मीदवार का निर्वाचन कराने में सफल हो जाती है तो फ्लोर टेस्ट पास करने में उसकी राह बहुत आसान हो जाएगी।
इसके साथ ही भाजपा इस जुगत में लगी हुई है कि अजित पवार ही एनसीपी विधायक मंडल दल के नेता माने जाए जिससे की फ्लोर टेस्ट के समय व्हिप का इस्तेमाल कर विधायकों को अपने पक्ष में किया जा सके।
भाजपा की नजर उन 29 निर्दलीय विधायकों पर भी है जो सीधे तौर पर अभी किसी खेमे में नहीं है। ऐसे में अगर भाजपा इन 29 विधायकों में से अधिकतर को अपने खेमे में लाने में जुटी है। भाजपा नेता दावा कर रहे है कि इन 29 विधायकों में 16 विधायक उनके साथ है और आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी।
सदन के फ्लोर पर बहुमत प्राप्त करने से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव करारा किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा।
अगर भाजपा अपना विधानसभा अध्यक्ष का निर्वाचन कराने में फेल हो जाती है तो उस पर नैतिक रुप से इस्तीफे का दबाव बन जाएगा और इसके बाद फ्लोर टेस्ट मात्र एक खाना पूर्ति ही बनकर रह जाएगा। इसी सियासी दांवपेंच की वजह से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में विपक्ष के वकीलों ने सीधे फ्लोर टेस्ट की मांग की है।