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महाराष्ट्र में शरद पवार के ‘पॉवर गेम’ में फंस गई शिवसेना,'किंगमेकर' बन पाएंगे 'किंग' ?

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विकास सिंह

, मंगलवार, 12 नवंबर 2019 (09:52 IST)
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। सोमवार को जबरदस्त सियासी उतार- चढ़ाव के बीच सरकार बनाने में सबसे आगे चल रही शिवसेना की अपना मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा अब धूमिल नजर आ रही है, क्योंकि शिवसेना तय समय में एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन पत्र नहीं प्राप्त कर सकी  और राज्यपाल से उससे और मोहलत भी नहीं मिल सकी।  अपना मुख्यमंत्री बनाने की लालच में शिवसेना ने भाजपा के साथ 30 साल पुराने गठबंधन को एक झटके में खत्म कर दिया। कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन के लिए शिवसेना ने उनकी शर्त को मानते हुए मोदी कैबिनेट में शामिल अपने मंत्री अरविंद सांवत का इस्तीफा दिलवा कर सालों पुरानी अपनी दोस्ती को विराम दे दिया। 
 
शिवसेना ने एनसीसी- कांग्रेस समर्थन के लिए अपने सबसे पुराने दोस्त को अलविदा तो कह दिया लेकिन बदले में उसके हाथ पूरी तरह खाली रहे। महाराष्ट्र की सियासत के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार के पॉवर गेम के जाल में शिवसेना ऐसी फंसी कि उसे न समर्थन के चिट्ठी मिल सकी और न ही राज्यपाल से और मोहलत।   एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन के आस लेकर शिवसेना का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल के पास पहुंचा लेकिन वह अपने समर्थन में मैजिक नंबर का आंकड़ा नहीं पेश कर पाया। शिवसेना ने राज्यपाल से सरकार बनाने के लिए 48 घंटे की मांग की लेकिन राज्यपाल ने और मोहलत देने से इंकार कर दिया और राज्य में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी एनसीपी को सरकार बनाने के न्योता दे दिया। 
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'किंगमेकर' बन पाएंगे 'किंग' ? -  महाराष्ट्र में सियासी दांवपेंच की लड़ाई में एक बार फिर शरद पवार पर सबकी निगाहें टिक गई है। राज्यपाल ने एनसीपी को सरकार बनाने के लिए 24 घंटे का समय दिया है और इस समय सीमा में एनसीपी को सरकार बनाने के लिए जरूरी नंबर का जुगाड़ करना है। इसको लेकर आज एनसीपी नेताओं की बड़ी बैठक हो रही है। 
 
शरद पवार की पार्टी को भले ही सरकार बनाने का न्योता मिल गया हो लेकिन वह अपने समर्थन में जरूरी नंबर जुटा पएगी इस पर संशय बना हुआ है। महाराष्ट्र की सियायत के समीकरण को देखे तो शिवसेना हर हालत में अपना  मुख्यमंत्री ही बनाना चाहती है इसलिए वह सरकार बनाने के लिए एनसीपी को समर्थन दें यह बहुत मुश्किल है। 
 
शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे भले ही अभी यह दावा कर रहे हो कि उनको एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन मिल रहा है लेकिन दोनों ही पार्टियों ने अब समर्थन के मुद्दें पर खुलकर कुछ नहीं बोला है। कांग्रेस शिवसेना को सीधे समर्थन देकर अपनी भविष्य की राजनीति को दांव पर नहीं लगाना चाहती तो एनसीपी बदले सियासी हालात में अपना मुख्यमंत्री बनाने का सपना देखने लगी है।
 
महाराष्ट्र की बदले राजनीतिक घटनाक्रम मे अब राजभवन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। अब देखना होगा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी क्या शिवसेना को कोई राहत देते है या महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश केंद्र से कर देते है।  
 

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