जम्मू। सीमा पार से लगातार पाकिस्तानी गोलीबारी के बीच लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र सिंह धोनी ने कश्मीर पहुंचकर गश्त, पोस्ट ड्यूटी, गार्ड ड्यूटी संभाल ली है। वे बुधवार सुबह ही कश्मीर स्थित अपनी पलटन में पहुंचे थे।
यहां बतौर लेफ्टिनेंट कर्नल अपनी सेवाएं देते हुए वह गश्त, पोस्ट ड्यूटी, गार्ड ड्यूटी और अन्य गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। धोनी 15 अगस्त तक विक्टर फोर्स का हिस्सा बनकर कश्मीर घाटी में अपनी सेवाएं देंगे।
वह मंगलवार को कश्मीर नहीं पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने दिल्ली में स्थित संबंधित सैन्य प्रशासन में रिपोर्ट कर दी थी। आज उन्होंने दिल्ली से कश्मीर पहुंच अपनी ड्यूटी ज्वॉइन की। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि वे अब सामान्य तौर पर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करेंगे। वे करीब एक पखवाड़ा कश्मीर में ही रहेंगे।
धोनी 2012 में भी कश्मीर में करीब एक सप्ताह तक सेना के साथ रहे थे। उस समय उन्होंने विभिन्न जगहों पर सैन्यकर्मियों और अधिकारियों के बीच जाकर उनका मनोबल बढ़ाया था।
वह उरी सेक्टर समेत उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे विभिन्न अग्रिम इलाकों में भी गए थे। इसके बाद वह दो साल पहले 2017 में भी कश्मीर आए थे और सेना की ओर से आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया था।
अधिकारी ने बताया कि यह पहला मौका होगा जब वह आम सैन्य अधिकारियों की तरह कश्मीर में लगभग 15 दिनों तक रहेंगे। उन्हें दक्षिण कश्मीर में किस जगह तैनात किया गया है, फिलहाल इसकी जानकारी नहीं दी गई है।
जब अधिकारी से यह पूछा कि क्या वे किसी जगह विशेष पर आतंकियों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियान का हिस्सा बनेंगे तो कहा कि अभी यह तय नहीं है, लेकिन सेना की 106 टीए बटालियन में बतौर लेफ्टिनेंट कर्नल वह अपने पद और जिम्मेदारियों के मुताबिक हर गतिविधि में शामिल होंगे।
उल्लेखनीय है कि धोनी वर्ष 2015 में दक्ष पैराशूट सैनिक बने थे। उन्होंने इसके लिए आगरा के ट्रेनिंग शिविर में सेना के विमान से 5 पैराशूट ट्रेनिंग छलांग लगाई थी।
पूर्व कप्तान को वर्ष 2011 में लेफ्टिनेंट कर्नल के मानद पद से नवाजा गया था, जो प्रादेशिक सेना की 106 इन्फेन्ट्री बटालियन का हिस्सा है। सेना की पैराशूट रेजीमेंट की दो बटालियन में से यह एक है।
सोल्जर की तरह सोचते हैं धोनी : बीसीसीआई के पूर्व सुरक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर गोविंद सिसोदिया ने कहा कि धोनी ऐसे इंसान हैं जिनकी सोच एक सोल्जर की तरह है। भारतीय सेना से धोनी का बेहद करीब का लगाव रहा है।
उन्होंने बताया कि जब भी सेना के किसी कार्यक्रम में धोनी हिस्सा लेने आते थे तो चुपचाप निकल जाया करते थे। उनका ज्यादातर वक्त सैनिकों के बीच गुजरता था। वे ऑपरेशंस एरिया में जाकर सैनिकों के साथ घुलमिल जाया करते थे।
सैनिकों की फिक्र रहती थी : धोनी के दोस्त दीपक सिंह ने बताया कि हम लोग जब भी बातें करते थे, तब उसका विषय भारतीय सेना ही हुआ करता था। धोनी अकसर यही कहते थे कि किस तरह हमारी सेना के जवान अपने बीवी-बच्चों को छोड़कर सीमा की रक्षा कर रहे हैं।
सेना को करीब से जानने की चाहत : प्रदीप सरकार भी धोनी के दोस्त हैं और उन्होंने बताया कि भारतीय सेना को करीब से जानने की चाहत उनमें शुरू से रही है। यही कारण है कि धोनी का दिल मैदान में देश के क्रिकेट के लिए और मैदान से बाहर देश के सैनिकों के लिए धड़कता है। भारतीय सेना के प्रति ऐसा जज्बा मैंने धोनी के अलावा देश के अन्य किसी क्रिकेटर में नहीं देखा।