My father Makhan Lal Bindroo a Kashmiri Pandit will never die. You can just kill the body and he will be alive in the spirit
डॉ श्रद्धा बिंदरू का यह ट्वीट और एक वीडियो लगातार सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। जो बातें उन्होंने कही हैं, उसे सुनकर किसी का भी न सिर्फ खून खोल जाएगा, बल्कि गर्व से सिर भी ऊंचा उठ जाएगा। दरअसल, श्रद्धा कश्मीरी पंडित माखनलाल बिंदरू की बेटी है, जिनकी हाल ही में कश्मीर में आतंकियों ने हत्या कर दी।
इस जघन्य हत्या पर उनकी बेटी डॉ. श्रद्धा ने कहा कि मेरे पिता कभी नहीं मरेंगे। उनके शरीर को आतंकवादी भले ही मार दें, लेकिन मेरे पिता की आत्मा हमेशा जीवित रहेगी। हिम्मत है तो आगे आओ, तुम सिर्फ पत्थर फेंक सकते हो, गोली मार सकते हो, हिम्मत है तो आगे आओ और मेरा सामना करो, शिक्षा में और ज्ञान में मेरा सामना करो।
फॉर्मासिस्ट माखन लाल की बेटी डॉ श्रद्धा बिंदरू ने कहा, 'हिंदू होने के बावजूद मैंने कुरान पढ़ी है। कुरान कहता है कि तुम शरीर को मार सकते हो, आत्मा जीवित रहती है। मेरे पिता आत्मा के रूप में जिंदा रहेंगे'
अपने पिता की हत्या के बाद जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के फॉर्मासिस्ट माखन लाल बिंदरू की बेटी डॉ श्रद्धा बिंदरू ने खुलकर आतंकियों को चुनौती दी और कहा कि वे पत्थरबाजी कर सकते हैं, लेकिन हिम्मत हो तो आकर मेरे साथ बहस करो। तुम्हारा स्तर नहीं है कि तुम नॉलेज में, शिक्षा में मुझसे बहस कर सको।
जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को श्रीनगर और बांदीपोरा जिलों में अलग-अलग घटनाओं में संदिग्ध आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंदरू समेत तीन नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जिसके बाद उनकी बेटी श्रद्धा का यह कथन और वीडियो वायरल हो रहा है।
पिता की हत्या पर श्रद्धा बिंदरू ने कहा, 'उनके पिता को भले ही कत्ल कर दिया गया हो, लेकिन उनकी आत्मा हमेशा जीवित रहेगी। मेरे पिता एक लड़ाकू थे, हमेशा कहते थे कि 'मैं अपने जूते पहनकर मरूंगा'
श्रद्धा ने कहा, 'आप एक व्यक्ति को मार सकते हैं, लेकिन आप माखन लाल की आत्मा को नहीं मार सकते। जिसने मेरे पिता को गोली मारी है, मेरे सामने आए। मेरे पिता ने मुझे शिक्षा दी, जबकि राजनेताओं ने तुम्हें बंदूकें और पत्थर दिए। आप बंदूकों और पत्थरों से लड़ना चाहते हैं? यही कायरता है। सभी राजनेता आपका उपयोग कर रहे हैं, आओ और शिक्षा पर बहस करो'
श्रद्धा बिंदरू ने कहा, 'मैं एक एसोसिएट प्रोफेसर हूं। मैंने शून्य से शुरुआत की। मेरे पिता ने साइकिल से शुरुआत की, मेरा भाई एक डॉक्टर है, मेरी मां दुकान में बैठती है, इन्हीं माखन लाल बिंदरू ने हमें बनाया है। एक कश्मीरी पंडित, वह कभी नहीं मरेगा।
कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंदरू अपने समुदाय के उन चंद लोगों में से एक थे, जो 1990 में आतंकवाद की शुरू होने के बावजूद घाटी से बाहर नहीं गए। वह अपनी पत्नी के साथ वहीं रुक गए थे और व्यापार करते थे।