Maratha Reservation Movement : आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शनिवार को कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि जब तक महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी के तहत कुनबी प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता, तब तक उनका उपवास जारी रहेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि वे रविवार से जल और दवाएं लेना बंद कर देंगे।
मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने की मांग को लेकर जालना जिले के अंतरवाली सराती गांव में 12 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे जरांगे ने मुंबई में शुक्रवार देर रात मराठा नेताओं के प्रतिनिधिमंडल और सरकार के बीच हुई वार्ता के निष्कर्ष को भी खारिज कर दिया।
जरांगे ने कहा, हमारी मांग है कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को कुनबी जाति के प्रमाण पत्र दिए जाएं। इस सप्ताह की शुरुआत में महाराष्ट्र कैबिनेट ने फैसला था किया कि मराठवाड़ा क्षेत्र के उन मराठों को कुनबी जाति के प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे, जिनके पास निजाम युग के राजस्व या शिक्षा दस्तावेज हैं, जिनमें उन्हें कुनबी के तौर पर पहचान दी गई है।
कैबिनेट के फैसले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वह इस मामले में किसी भी मदद के लिए तेलंगाना के अपने समकक्ष से भी बात करेंगे। कैबिनेट के फैसले के आधार पर सात सितंबर को एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी किया गया था, लेकिन जरांगे इससे संतुष्ट नहीं हुए।
कुनबी, कृषि से जुड़ा एक समुदाय है, जिसे महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है और उन्हें शिक्षा व सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिला हुआ है। मराठवाड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा बनने से पहले तत्कालीन हैदराबाद साम्राज्य का हिस्सा था।
मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा अजित पवार ने शुक्रवार रात मराठा नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जिसके बाद जरांगे को एक सीलबंद लिफाफा भेजा गया। हालांकि वे बैठक के परिणाम से संतुष्ट नहीं हुए।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)