Maratha reservation News : मराठा आरक्षण के मामले में महाराष्ट्र की शिंदे सरकार को बड़ी राहत मिली है। मराठा कोटे को लेकर आंदोलन कर रहे मनोज जारांगे पाटिल ने अपनी 17 दिनों की भूख हड़ताल को वापस ले लिया है। एकनाथ शिंदे की ओर से उन्हें चेतावनी दी गई थी कि अब हदें पार न करें। मीडिया खबरों के मुताबिक सीएम शिंदे के सख्त रुख के बाद ही मनोज जारांगे पाटिल ने यह फैसला लिया है।
इससे पहले पाटिल ने डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाया था कि वे मेरा एनकाउंटर भी करा सकते हैं। एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वे हदें पार न करें। ऐसी बातें करना गलत हैं। मनोज जारांगे पाटिल ने शनिवार को कहा था कि सरकार कोशिश कर रही है कि मुझे किसी मामले में फंसाकर गिरफ्तार कर लिया जाए।
उनका सीधा आरोप एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार पर था। इस पर शिंदे ने जवाब देते हुए कहा था कि मनोज जारांगे पाटिल को सीमा नहीं लांघनी चाहिए। सीएम शिंदे ने यहां तक कहा था कि कानून व्यवस्था को संभालने के लिए कुछ ठोस ऐक्शन भी लिए जा सकते हैं।
शिंदे के इस रुख से माना जा रहा था कि अब वह आक्रामक तेवर में आ सकते हैं। लंबे आंदोलन के बाद महाराष्ट्र विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाकर 10 प्रतिशत मराठा कोटे को मंजूरी दे दी गई है। इसके तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण मिलना है। मनोज जारांगे पाटिल ने सरकार के इस फैसले का भी विरोध ही किया है। उनका कहना है कि सरकार को अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण देने की बजाय मराठा समुदाय को ओबीसी कोटा देना चाहिए।
यदि मराठा समाज को ओबीसी में शामिल किया गया तो उन्हें 50 फीसदी जातिगत आरक्षण की लिमिट तोड़े बिना ही कोटा मिल जाएगा। इसी के लिए उन्होंने 17 दिनों की भूख हड़ताल का ऐलान कर दिया था। हालांकि अब उन्होंने कदम पीछे हटा लिए हैं और वापस अपने गृह जिले जालना चले गए हैं। जारांगे पाटिल का कहना था कि सरकार ने मराठा कोटे को अलग से दिया है। इससे जातिगत आरक्षण 50 प्रतिशत के पार हो जाएगा। ऐसे में अदालत में यह टिक नहीं पाएगा। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma