नई दिल्ली। भारतीयय जनता पार्टी के बढ़ते कदम से घबराकर अब एक दूसरे के कट्टर शत्रु भी एकजुट होने लगे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 350 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में तमाम क्षेत्रीय पार्टियां अपने मतभेद भुलाकर एक मंच पर आने लगी है। इस क्रम में पहली बार मायावती के पोस्टर में धुर विरोधी समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की तस्वीर भी दिखने लगी है। इससे सवाल यह उठता है कि इसे राजनीतिक अवसरवादिता कहें या कि सिद्धांत से समझौता?
दरअसल, लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने विपक्ष को एकजुट करने के मकसद से 27 अगस्त को पटना में एक बड़ी रैली का आयोजन किया है। इसमें सभी बड़े विपक्षी दल के नेताओं के एक मंच पर जुटने की तैयारी है। संभवत: शरद यादव और उनके समर्थक भी यहां मौजूद होंगे। इस रैली में अखिलेश यादव भी शिरकत करने पहुंच रहे हैं। इसी सिलसिले में बसपा ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्टर जारी किया है। इसमें मायावती के साथ पहली बार अखिलेश यादव का फोटो भी दिख रहा है। हालांकि मायावती इस रैली में नहीं पहुंचेंगी लेकिन उनकी पाटर्वी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा जरूर मौजूद रहेंगे।
इनके अलावा इस पोस्टर में राजद नेताओं लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार के भाजपा से हाथ मिलाने के बाद बगावती तेवर अपनाने वाले शरद यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी की तस्वीरें भी हैं।
शरद यादव ने नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत कर दी है। जदयू ने धमकी दी है कि यदि वह लालू प्रसाद की रैली में शिरकत करेंगे तो उनको पार्टी से भी निकाला जा सकता है। जदयू पहले ही उनको राज्यसभा में पार्टी के नेता पद से हटा चुका है।