फेसबुक के नाम बदलने की पूरी दुनिया में चर्चा है। कोई इसे नई तकनीक का दौर बता रहा है तो कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह अपनी छवि बदलने की महज एक कवायदभर है।
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के नाम बदलने की घोषणा के बाद लोगों के मन में कई तरह के सवाल पैदा हो गए हैं। अब इसका नाम मेटा होगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि अब आपके अकांउट पर किस तरह का फर्क पड़ेगा।
दरअसल, फेसबुक को अब तक एक सोशल मीडिया कंपनी माना जाता रहा है, वहीं मेटा एक सोशल टेक्नॉलजी कंपनी होगी। फेसबुक की तरह के दूसरे कई प्रोडक्ट अब मेटा ब्रांड की छतरी के नीचे आएंगे। कहने का मतलब ये कि आपका फेसबुक अकाउंट पहले की तरह ही खुलेगा। बस फेसबुक ने अपनी बाकी कंपनियों को मिलाकर एक बड़ी कंपनी Meta बना ली है।
मार्क जकरबर्ग ने कंपनी ने कनेक्ट वर्चुअल रियलिटी कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम जो कुछ भी करते हैं, उसे शामिल करने के लिए एक नया कंपनी ब्रांड अपनाने का वक्त आ गया है। अब हम मेटावर्स होने जा रहे हैं, फेसबुक नहीं। और अब मेटावर्स ही मोबाइल इंटरनेट का भविष्य होगा।
मेटावर्स, मतलब वो दुनिया जो असल नहीं है, लेकिन तकनीक उसे असल दुनिया जितनी ही रियल बना देती है। इस तकनीक में आपके आसपास के वातावरण से मेल खाता ऐसा माहौल रच दिया जाएगा कि वो आपको वास्तविक सा मालूम पड़ेगा।
दरअसल, फेसबुक जिस पर फोकस कर रहा है, वह एक अल्फाबेट इंक जैसी होल्डिंग कंपनी है। इसके जरिए इंस्टाग्राम, वॉट्सएप, ओकुलस और मैसेंजर जैसे कई सोशल नेटवर्किंग ऐप को वह अपने अंतर्गत रखेगी। 2015 में गूगल ने अपना नाम बदलकर अल्फाबेट इंक रखा था, अब गूगल और इसके दूसरे प्रोडक्ट्स इसी में आते हैं।