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Mobile Radiation का मानव स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं, इसका कैंसर से भी कोई संबंध नहीं

हमें फॉलो करें Mobile Radiation का मानव स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं, इसका कैंसर से भी कोई संबंध नहीं
, सोमवार, 20 मई 2019 (22:32 IST)
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सलाहकार डॉ. टीके जोशी ने मोबाइल टॉवर से निकलने वाले विकिरण को लेकर लोगों में बनी भ्रम की स्थिति पर कहा है कि लोगों को वैज्ञानिक प्रमाणों पर भरोसा करना चाहिए, क्योंकि मोबाइल विकिरण का मानव स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता और इसका कैंसर से भी कोई संबंध नहीं है।
 
डॉ. जोशी ने टेलीकॉम टॉवरों से निकलने वाले इलेक्ट्रोमेग्नेटिक फील्ड (ईएमएफ) विकिरण से जुड़े मिथकों को दूर करने के प्रयास में हाल ही में आयोजित एक कार्यशाला में कहा कि लोगों को वैज्ञानिक प्रमाणों पर भरोसा करना चाहिए और सिर्फ सोशल मीडिया पर नहीं जाना चाहिए। आसपास के क्षेत्रों में सुगम दूरसंचार सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए अधिक संख्या में टॉवर लगाना बहुत महत्वपूर्ण है।
 
उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं कई अन्य एजेंसियों द्वारा 36 देशों में 25,000 से अधिक अध्ययन किए गए हैं जिनसे यह निष्कर्ष निकला है कि मोबाइल विकिरण का मानव स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता और न ही इसका कैंसर से कोई संबंध है।
 
उन्होंने कहा कि नॉन आयोनाइज्ड विकिरण का किसी भी तरह से मनुष्य के स्वास्थ्य पर असर नहीं पड़ता। यह बात वैज्ञानिक अध्ययनों में साबित हो चुकी है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट का उल्लेख किया जिसमें अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा स्तर के अनुपालन की अनुशंसा की गई है।
 
उन्होंने दावा किया कि कम पैमाने के ईएमएफ की वजह से सिरदर्द, डिप्रेशन, तनाव और थकान जैसी बात पूरी तरह से गलत है, क्योंकि वैज्ञानिक प्रमाणों से इसकी पुष्टि हो चुकी है कि टेलीकॉम टॉवर से निकलने वाले विकिरण का इन लक्षणों से कोई संबंध नहीं है।
 
टर्म सेल दिल्ली के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल (अनुपालन) कमल देव त्रिपाठी ने कहा कि आम जनता को ईएमएफ से जुड़े मामलों के बारे में वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर सही जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ वायरलैस कनेक्टिविटी एवं सेवाओं की गुणवत्ता (क्यूओएस) के लिए विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक संख्या में टॉवर लगाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
 
उन्होंने कहा कि उनका विभाग राजधानी दिल्ली में हर वर्ष 10 फीसदी टॉवरों का परीक्षण करता है और इनमें से कोई भी टॉवर ऐसा नहीं पाया गया है, जो निर्धारित सीमाओं का उल्लंघन करता हो। (वार्ता)

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