नई दिल्ली। किसानों को लुभावने वादे करके तीन राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस ने अपनी सरकार बनाकर भाजपा को गद्दी से उतार फेंका। मोदी सरकार को भी लगने लगा है कि किसान इस देश का भविष्य तय कर सकते हैं। यही कारण है कि सरकार जल्द ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक पैकेज की घोषणा करने जा रही है ताकि किसानों की आय में इजाफा हो सके।
कृषि राज्य मंत्री रूपाला ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या यह राहत पैकेज एक फरवरी को पेश होने वाले बजट का हिस्सा होगा या इससे पहले इसकी घोषणा की जाएगी। रूपाला ने कृषि मंत्रालय की तरफ से वित्त मंत्रालय को वर्ष 2019-20 के बजट के लिए भेजे गए सुझावों को साझा करने से भी इनकार कर दिया।
किसानों के लिए प्रस्तावित पैकेज के बारे में पूछे जाने पर रूपाला ने कहा, 'आपको लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सूत्रों ने इससे पहले कहा था कि सरकार समय पर कर्ज चुकाने वाले किसानों के लिए फसली ऋण पर ब्याज पूरी तरह माफ कर सकती है, इससे सरकारी खजाने पर 15,000 करोड़ रुपए तक का अतिरिक्त बोझ आएगा। खाद्यान्न वाली फसलों के लिए बीमा पॉलिसी पर प्रीमियम को पूरी माफ करने का भी प्रस्ताव है।
केंद्र तेलंगाना और ओडिशा सरकारों द्वारा लागू की जा रही योजना का मूल्यांकन भी कर रहा है जिसमें किसानों के खाते में एक निश्चित राशि सीधे हस्तांतरित कर दी जाती है। इससे पहले, कृषि ज़ैद/ग्रीष्मकालीन अभियान 2019 पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा कि सरकार रबी और खरीफ मौसम के बीच होने वाली खेती के रकबे को बढ़ाने पर भी गौर कर रही है ताकि किसानों की आय बढ़ाई जा सके।
उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब इन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक अभियान शुरू किया गया है। कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में ग्रीष्मकालीन फसल सत्र में खेती का रकबा लगभग 45 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से 20 लाख हेक्टेयर में धान लगाया जाता है। इस सत्र में चावल का उत्पादन 20 लाख हेक्टेयर से लगभग 45 लाख टन का रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार गैर-धान फसलों जैसे दलहन, मोटे अनाज और तिलहन का रकबा 25 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 50 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे गर्मी के मौसम में कुल खेती का रकबा 70 लाख हेक्टेयर हो जाएगा।