भुवनेश्वर। भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दूसरे दिन की बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर पहुंचे और वहां पूजा अर्चना की। मोदी ने दिल खोलकर यहां लोगों से मुलाकात की।
मंदिर परिसर के आसपास सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे लेकिन मंदिर परिसर एवं आसपास भारी भीड़ जमा थी। मोदी ने लोगों का अभिवादन किया और कई बार सुरक्षा घेरा तोड़कर जनता से मिले। पुजारियों ने भी उनके साथ सेल्फी खींची। मोदी ने मंदिर की व्यवस्था, पुरातत्व, इतिहास एवं पांरपरिक विश्वास के बारे में भी जानकारी प्राप्त की।
मोदी करीब सुबह साढ़े आठ बजे मंदिर परिसर पहुंचे जहां मुख्य पुजारी ने उनका स्वागत किया। मोदी ने सबसे पहले बिन्दुसागर सरोवर में जाकर जल से आचमन किया और फिर गर्भगृह में जाकर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विशाल शिवलिंग स्वरूप भगवान लिंगराज का अभिषेक किया। पुजारियों ने आशीर्वाद स्वरूप उन्हें उत्तरीय ओढ़ाया और प्रसाद भेंट किया।
मंदिर के सूत्रों के अनुसार पं. जवाहरलाल नेहरू के बाद श्री मोदी दूसरे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने इस मंदिर के दर्शन किए हैं। मंदिर प्रशासन की ओर से श्री मोदी को ओडिशा का खास कोराखई भेंट किया गया। यह धान के लावा या लाई से तैयार किया जाता है। इसमें काजू, पिस्ता और नारियल डालकर इसे तैयार कराया गया है।
लिंगराज को सभी शिवलिंगों का राजा माना जाता है। मंदिर का निर्माण सोमवंशी राजा जजाति केशरी ने 11वीं शताब्दी में कराया था। मंदिर के प्रांगण में बने बिंदुसागर सरोवर के बारे में मान्यता है कि इसमें देश के सभी प्रमुख झरनों और नदियों का जल संग्रहीत है।
लिंगराज मंदिर जाने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ओडिशा के राजभवन पहुंचे। यहां एक कार्यक्रम में 1817 में अंग्रेजों के खिलाफ पाइका विद्रोह आंदोलन में शहादत देने वाले 16 परिवारों को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले आदिवासियों की वीरता की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के आंदोलन की एक लम्बी श्रृंखला रही है और उन सभी सामयिक घटनाओं का स्मरण करने और उससे युवा पीढ़ी को अवगत कराये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आदिवासी या जनजातीय वर्ग के लोग विभिन्न राज्यों में रहते है और उन्होंने आजादी की लड़ाई में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
मोदी ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को यह पता चलना चाहिए कि अभाव की जिंदगी जीने के बावजूद उपेक्षित वर्ग के इन लोगों ने आजादी के लिए किस प्रकार की कुर्बानी दी थी। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण ओडिशा में जनजातीय वर्ग के सैंकड़ों लोगों को फांसी दी गयी थी और हजारों लोगों को जेल की सजा भुगतनी पड़ी थी।
उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले आदिवासियों के त्याग को याद करने के वास्ते और भावी पीढ़ी को उससे शिक्षा लेने के लिए सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में वर्चुअल म्यूजियिम स्थापित कर रही है।
चित्र सौजन्य : ट्विटर