नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की रेटिंग एक पायदान ऊपर उठाते हुए ‘बीएए2’ कर दी है। रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि भारत में लगातार आर्थिक और संस्थागत सुधारों से वृद्धि संभावनाएं बेहतर हुई हैं।
जबकि भारत की वित्तीय साख में सुधार को देश की जमीनी सच्चाई से दूर बताते हुए कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार विदेशी रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्ट की आड़ में देश का मूड नहीं समझ पा रही है और इनका प्रचार कर चुनाव जीतने की कोशिशों में लगी है।
रेटिंग एजेंसी के खिलाफ कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि जब अमेरिका में आर्थिक मंदी आई थी तब मूडी, एस एंड पी और अन्य रेटिंग एजेंसियां ने अमेरिका को कौन सी रेटिंग दी थी। यह सभी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां पहले से हालात का अंदाजा लगाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई थीं लेकिन भारत में इन विदेशी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की भविष्यवाणियों को 'पत्थर की लकीर' मान लिया जाता है।
कांग्रेस प्रवक्ता राजीव शुक्ला का कहना है कि देश में चुनावों से पहले किसी विदेशी एजेंसी की क्रेटिड रेटिंग जारी हो जाती है, लेकिन अब तक किसी भारतीय एजेंसी की कोई रेटिंग नहीं आई है जो देश की वास्तविक आर्थिक स्थिति को उजागर कर सके। अगर इन रेटिंग रिपोर्टों को सही मान भी लिया जाए तो आर्थिक विकास दर और सकल घरेलू उत्पाद में लगातार गिरावट क्यों आ रही है?
मूडी के क्रेडिट रेटिंग बढ़ाने से कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि मूडी के क्रेडिट रेटिंग बढ़ाने से भारत का व्यापार घाटा और बढ़ेगा। ऊंची एफडीआई अंदरूनी प्रवाह से जहां रुपया मजबूत होगा लेकिन इससे निर्यात पर बुरा असर पड़ेगा। बिजनेस स्टेंडर्ड में कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि एफडीआई इनफ्लोज के चलते निर्यात सेक्टर की वृद्धि पर बुरा असर पड़ेगा।
विदित हो कि विमुद्रीकरण और जीएसटी प्रभाव के चलते निर्यात क्षेत्र पहले से ही चुनौतियों से जूझ रहा है। विदित हो कि वर्ष 2016-17 के दौरान भारत की व्यापार घाटा 108.5 बिलियन डॉलर था। एक ओर जहां रुपए का 2017 में पहले से 5.1 फीसदी का ह्रास हो चुका है, व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रा में और ह्रास निर्यात की वृद्धि को नकारात्मक तौर पर प्रभावित करेगी।
अमेरिका स्थित इस एजेंसी ने भारत की रेटिंग को ‘बीएए3’ से एक पायदान ऊपर उठाते हुए ‘बीएए2’ कर दिया। हालांकि, इसके साथ ही भारत के बारे में परिदृश्य को जो कि पहले ‘सकरात्मक’ था उसे ‘स्थिर’ कर दिया गया है। एजेंसी ने कहा कि भारत में ऋण के बढ़ते स्तर को सुधारों से स्थिर करने में मदद मिलेगी।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का कहना है कि अन्य क्रेडिट रेटिंग एजेसिंयां जैसे एस एंड पी और फिच जैसी एजेंसियां भी देश की क्रेडिट रेटिंग को सधारेंगीं। लेकिन देश के आर्थिक और संस्थानिक सुधारों के वृद्धि के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था पर कर्ज का अत्यधिक भार देश के क्रेडिट प्रोफाइल में एक बड़ा रोड़ा साबित होगा।
सरकार दावा कर रही है कि देश की रेटिंग में सुधार से सरकार, सरकारी संगठनों और बैंकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से अपेक्षाकृत कम ब्याज और अधिक अनुकूल शर्तों पर कर्ज मिलने की संभावना बढ़ जाती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मूडीज के इस कदम का स्वागत करते हुए इसे भारत सरकार द्वारा किए गए सुधारों को ‘देरी से दी गई मान्यता’ बताया। उन्होंने दावा है कि सरकार सुधारों के रास्ते पर आगे बढ़ती रहेगी और ग्रामीण क्षेत्रों तथा ढांचागत परियोजनाओं में खर्च बढ़ाने पर उसका जोर रहेगा।
भारत की रेटिंग में सुधार करते हुए मूडीज ने हाल ही में लागू माल एवं सेवाकर (जीएसटी), मौद्रिक नीति की रूपरेखा, बैंकों की गैर-निष्पादित राशि का निपटान करने के उपायों और अर्थव्यवस्था के ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों को औपचारिक तंत्र के दायरे में लाने के प्रयासों पर गौर किया। माना जा रहा है कि भारत की रैंकिंग को निवेश ग्रेड के सबसे निचले पायदान से एक पायदान ऊपर उठाने से भारत अब फिलीपीन्स और इटली के साथ पहुंच गया है।
मूडीज़ ने इससे पहले 2004 में भारत की रेटिंग को ‘बीए1’ से सुधारकर निवेश की सबसे निचली श्रेणी ‘बीएए3’ में रखा था। यह श्रेणी कबाड़ मानी जाने वाली श्रेणी से एक पायदान ऊपर थी। अब भारत को बीएए2 श्रेणी में लाया गया है जो कि निवेश की कबाड़ श्रेणी से दो पायदान ऊपर है।
मूडीज ने इससे पहले 2015 में भारत के रेटिंग परिदृश्य को स्थिर से सकारात्मक किया था। मूडीज द्वारा भारत की रेटिंग में सुधार का यह कदम विश्व बैंक द्वारा भारत को कारोबार सुगमता के मामले में 30 पायदान ऊपर उठाकर शीर्ष 100 देशों में शामिल करने के कुछ ही सप्ताह बाद आया है।
लेकिन देश की जमीनी हकीकत क्या है, इस बात पर गौर नहीं किया गया है या फिर मोदी सरकार चुनाव जीतने और सत्ता संभालने की हड़बड़ी में अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा भारत की वित्तीय साख में सुधार को देश की जमीनी हकीकत बता रही है।
कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार विदेशी रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्ट की आड़ में देश का मूड नहीं समझ पा रही है। कांग्रेस प्रवक्ता राजीव शुक्ला ने कहा कि देश में विभिन्न चुनावों से पहले किसी विदेशी एजेंसी की क्रेटिड रेटिंग जारी हो जाती है, लेकिन अब तक किसी भारतीय एजेंसी की कोई रेटिंग नहीं आई है जो देश की वास्तविक आर्थिक स्थिति को उजागर कर सके। शुक्ला ने कहा कि अगर इन रेटिंग रिपोर्टों को सही मान भी लिया जाए तो आर्थिक विकास दर और सकल घरेलू उत्पाद में लगातार गिरावट क्यों आ रही है?
उन्होंने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर देश की जमीनी हकीकत बहुत खराब है। क्या मोदी जी वाशिंगटन से चुनाव लड़ना चाहते हैं? इससे पहले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के बाद मोदी सरकार अपनी खोई साख को छुपाने के लिए इस तरह की रिपोर्टों को तिनके की तरह बटोर रही है।