मानवता और त्याग की मिसाल बनीं मदर टेरेसा को आज वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने संत की उपाधि प्रदान की। यह उनके दो चमत्कारों को चर्च की मान्यता मिलने का प्रमाण है।
1997 में मदर टेरेसा का निधन हो गया था। लेकिन मदर टेरेसा के नाम से दो बीमारियों के चमत्कारिक ढंग से ठीक होने के बाद वैटिकन ने उन्हें संत बनाने का रास्ता साफ कर दिया था।
वैटिकन के अनुसार साल 2002 में मदर टेरेसा से प्रार्थना करने के बाद एक भारतीय महिला मोनिका बेसरा के पेट का ट्यूमर चमत्कारिक ढंग से ठीक हो गया था। उदर-कैंसर से पीड़ित बेसरा का कहना था कि मदर टेरेसा की तस्वीर वाली एक तावीज को पेट पर रखकर दबाने और उनकी प्रार्थना करने से वह ठीक हो गई।
इस पुरस्कार को मान्यता देते हुए पोप जॉन पॉल द्वितीय ने मदर टेरेसा को 2003 में धन्य घोषित किया था। यह संत बनाए जाने की प्रक्रिया का पहला चरण था।
दूसरा चमत्कार ब्राज़ील में मिला। 18 दिसंबर 2015 को वैटिकन के एक वक्तव्य में कहा गया कि ब्राजील के सैंतुश नगर में एक ऐसा व्यक्ति मिला है, जिसके मस्तिष्क में कई ट्यूमर (अर्बुद) थे। मदर टेरेसा के चमत्कारिक प्रभावों से 2008 में वह अचानक बिल्कुल ठीक हो गया। उस व्यक्ति का नाम, पता, बीमारी का इतिहास या और कोई विवरण नही बताया जा रहा है।