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एमटीसीआर सदस्यता : अटल का सपना मोदी ने हकीकत में बदला

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हमें फॉलो करें एमटीसीआर सदस्यता : अटल का सपना मोदी ने हकीकत में बदला
, मंगलवार, 28 जून 2016 (14:48 IST)
नई दिल्ली। सोमवार को भारत औपचारिक रूप से मिसाइल कंट्रोल टेक्नोलॉजी रिजीम (एमटीसीआर) का सदस्य बन गया। इसमें प्रवेश के बाद भारत को मिसाइलों, स्पेस और अनमैन्ड एरियल व्हीकल प्रोगाम्स तक पहुंच होगी। भारत अब चारों परमाणु निर्यातक नियंत्रक गुटों का सदस्य बनना चाहता है। एनएसजी में असफलता के बाद भारत को वासेनार और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप में सदस्यता के प्रयास तेज कर देना चाहिए। 
यह कहना गलत न होगा कि जो लाभ भारत एनएसजी की सदस्यता से उठाना चाहता है, उसकी काफी हद तक कमी एमटीसीआर से पूरी हो सकती है इसलिए यशवंत सिन्हा का कहना है कि भारत को एनएसजी में प्रवेश करने के लिए जमीन- आसमान एक करने की जरूरत नहीं है। भारत की एमटीसीआर में प्रवेश की वार्ता नवंबर 2010 में तब शुरू हुई थी जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आए थे। तब ओबामा ने एमटीसीआर में भारत के प्रवेश का समर्थन किया था। इस गुट में शामिल होने के लिए 2011 में भारत ने रुचि दिखाई थी। 
 
जून, 2015 में भारत ने औपचारिक तरीके सदस्यता का आवेदन किया, जहां उसे फ्रांस और अमेरिका से सक्रिय समर्थन मिला था। अक्टूबर, 2015 तक इस गुट के एक सदस्य इटली को छोड़कर सभी सदस्यों ने भारत का समर्थन किया लेकिन भारतीय मछुआरों को गोली मारने के आरोपी इटली के दो सैन्य कर्मियों को भारत सरकार ने रिहा कर दिया तो इटली ने भी अपना समर्थन दे दिया। भारत के इस गुट में शामिल होने का रूस से समर्थन किया था क्योंकि उसे उम्मीद है कि स्पेस और मिसाइल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत-रूस संयुक्त उपक्रम (ज्वाइंट वेचर्स) स्थापित कर सकते हैं।  
27 जून 2016 को भारत के एमटीसीआर का सर्वसम्मति से संगठन का 35वां सदस्य बनने के बाद इस संधि ने भारत के लिए नई संभावनाएं खोल दी हैं। इसमें शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना, अमेरिकी कंपनी जनरल एटोमिक्स से 40 प्रीडेटर एक्सपी ड्रोन खरीदने का समझौता कर सकती है। इसकी मदद से भारत ब्रह्मोस मिसाइलों को विएतनाम, इंडोनेशिया, यूएई, चिली और दक्षिण अफ्रीका को बेच सकता है। सरकार का कहना है कि ये देश ब्रह्मोस खरीदने के इच्छुक हैं।   
 
इसके सहारे भारत लीज पर रूस की एक और पनडुब्बी का उपयोग करने में सक्षम होगा। एमटीसीआर सदस्यों की मदद से भारत को विदेशों से अनमैन्ड (चालकरहित) स्ट्राइक एयर व्हीकल बनाने की तकनीक हासिल करने में मदद मिलेगी। विदित हो कि इस संगठन में चीन के परमाणु हथियारों के प्रसार के चलते प्रवेश नहीं दिया गया और इसी तरह पाकिस्तान भी इस संगठन का सदस्य नहीं है।

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