Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Monday, 21 April 2025
webdunia

करोड़ों बेरोजगार कहां गायब हो गए?

Advertiesment
हमें फॉलो करें govenment jobs
, गुरुवार, 29 मार्च 2018 (16:04 IST)
नई दिल्ली। मार्च 2016 में जारी आंकड़ों के अनुसार उस समय देश में 3 करोड़ 80 लाख लोग बेरोजगार थे जबकि 4 करोड़ लोग ऐसे थे जिनके पास नौकरी तो नहीं थी लेकिन वह किसी न किसी तरह का काम कर रहे थे। लेकिन मात्र दो वर्षों में एक चमत्कार हो गया और चार करोड़ 30 लाख बेरोजगार गायब हो गए?
 
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की एक रिपोर्ट बताती है कि मार्च 2016 में देश में कुल 7 करोड़ 80 लाख बेरोजगार थे। इसी संस्था की अप्रैल 2017 की रिपोर्ट में यह आंकड़ा घटकर 3 करोड़ 70 लाख हो गया। इसलिए सवाल यह है कि बाकी 4 करोड़ 30 लाख लोग कहां गए? 
 
इन सभी को इसी संस्था की दूसरी रिपोर्ट 'गायब बेरोजगार' बताती है लेकिन हमें पता होना चाहिए कि यह संख्या देश की कुल वर्कफोर्स का एक बड़ा हिस्सा है तो क्या सरकार इन्हें अपने लेबर फोर्स के पूल में शामिल करेगी? लेकिन अगर नहीं करती है तो सरकार बता सकती है कि ये बेरोजगार कहां गायब हो गए?
 
नोटबंदी के बाद 4.3 करोड़ बेरोजगार हुए 'गुमशुदा'
 
मार्च 2016 में बताया गया था कि देश में 3 करोड़ 80 लाख लोग बेरोजगार थे और 4 करोड़ से अधिक ऐसे लोग थे, जिनके पास कोई नियमित नौकरी तो नहीं थी पर वह कोई न कोई काम कर रहे थे। कह सकते हैं कि ये चार करोड़ लोग नौकरी चाहते तो थे पर किसी तरह छोटे मोटे अनियमित काम करके काम चला रहे थे। उस समय पर देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 9% तक पहुंच गई थी।
 
इसी बीच 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी हो गई। CMIE की एक और रिपोर्ट कहती है कि इसके बाद आंकड़ा तेजी से बदला। अप्रैल 2017 में पूरी तरह से बेरोजगार लोगों की संख्या अचानक 4.4 करोड़ से घटकर 1.6 करोड़ पर आ गई। जबकि नौकरी के लिए जी-जान लगा रहे बेरोजगार लोगों की संख्या 4.5 करोड़ से घटकर 70 लाख रह गई है। इसे मोदी सरकार की आंकड़ों की कलाबाजी कहा जाए तो गलत न होगा।
 
मार्च 2016 से फरवरी 2018 के बीच दोनों तरह के बेरोजगारों का आंकड़ा 7.8 करोड़ से 8 करोड़ हो गया था लेकिन इसमें बेरोजगारों की संख्या घटकर 2.6 करोड़ और नौकरी नहीं ढूंढ रहे बेरोजगारों की संख्या सिर्फ 1.1 करोड़ रह गई। लेकिन इनमें बचे हुए 4.3 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनकी स्टेटस के बारे में रिपोर्ट कुछ नहीं बताती। न तो ये लोग नौकरी मांग रहे हैं न ही यह पता लग पा रहा है कि वे कुछ काम कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में इन्हें 'गुमशुदा बेरोजगार' बताया गया है।
 
जानकार कहते हैं कि इसमें लेबर क्लास का वह बड़ा हिस्सा शामिल है जो नोटबंदी के दौरान बेरोजगार हो गया था। उनका यह भी मानना है कि इसे फिर से देश की लेबर फोर्स में शामिल करना सरकार के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिए सरकार ने इन्हें गायब करने में ही भलाई समझी क्योंकि गायब होने वाले लोगों को लेकर कोई जवाब तो नहीं देना पड़ेगा?
 
आश्चर्य की बात है कि केंद्र सरकार को 2016 के बाद से पता ही नहीं है कि बेरोजगारी की स्थिति क्या है क्योंकि श्रम मंत्रालय ने 2016 के बाद से ऐसा सर्वे ही नहीं कराया है। यह सर्वे लेबर ब्यूरो कराता था। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने संसद में इस बारे में एक प्रश्न के जवाब में बताया कि इसे बेरोजगारी से जुड़े मुद्दे हल करने के लिए बनाई गई एक टास्क फोर्स की सलाह के बाद बंद किया गया है। 
 
अर्थशास्त्री मोहन गुरुस्वामी का कहना है कि खुद भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में भारत में कुल 11 करोड़ 70 लाख बेरोजगार थे, जिनमें 1 करोड़ 30 लाख पूरी तरह, 5 करोड़ 20 लाख बेरोजगारी के हाशिए पर और 5 करोड़ 20 लाख ऐसी महिलाएं थीं, जो काम नहीं करती थीं। उल्लेखनीय है कि मोहन गुरुस्वामी जिस रिपोर्ट के हवाले से यह कह रहे हैं, उसके अनुसार भारत की 11 फीसदी आबादी बेरोजगार हैं यानी करीब 12 करोड़ लोग। 
 
इसके बाद देश में सरकारी और गैर-सरकारी नौकरियां घटीं ही हैं। और नौकरियां मांगने वालों की फौज प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। देश के विनिर्माण क्षेत्र की भी हालत इतनी अच्छी नहीं है कि बडे पैमाने पर नौकरियों का सृजन किया जा सके। देश के रोजगार समस्या को हल करने के लिए सरकार के पास 'पकौड़े बनाने का रोजगार' भर है और यह भी कितने लोगों का भला कर सकेगा। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

स्टीव स्मिथ को भारी आर्थिक नुकसान, कैसे होगी भरपाई