नई दिल्ली। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने कहा है कि गाय के नाम पर हिंसा के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हालिया बयान का असर हुआ है और इस वजह से देश में इन तथाकथित गोरक्षकों के खिलाफ एक माहौल बना है।
आयोग के अध्यक्ष सैयद गैयरुल हसन रिजवी ने कहा कि प्रधानमंत्री के बयान का निश्चित तौर पर असर हुआ है। इस बयान के बाद देश में मिजाज बदला है। तथाकथित गौरक्षकों के खिलाफ एक माहौल बना है। लोगों को लग रहा है कि इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
हाल ही में प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया था कि गौरक्षा को कुछ असामाजिक तत्वों ने अराजकता फैलाने का माध्यम बना लिया है। इसका फायदा देश में सौहार्द बिगाड़ने में लगे लोग भी उठा रहे हैं। देश की छवि पर भी इसका असर पड़ रहा है। राज्य सरकारों को ऐसे असामाजिक तत्वों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा था कि गाय को हमारे यहां 'मां' मानते हैं, उससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं, लेकिन यह समझना होगा कि गौरक्षा के लिए कानून हैं और इसे तोड़ना विकल्प नहीं है। कानून व्यवस्था को बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और जहां भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं, राज्य सरकारों को इनसे सख्ती से निपटना चाहिए। इससे पहले भी प्रधानमंत्री ने गौरक्षा के नाम पर हिंसा की निंदा की थी।
रिजवी ने कहा कि इस तरह की घटनाएं निश्चित तौर पर चिंता का विषय हैं। इस तरह की घटनाओं से लोगों में भय पनपता है। कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है और इसलिए राज्य सरकारों को इस तरह के तत्वों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यही बात देश की सर्वोच्च अदालत ने भी कही है।
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले पर गंभीरता दिखाई है। इसको लेकर गृह मंत्रालय ने एक परामर्श भी जारी किया है। देश के कई राज्यों की सरकारों ने भी तथाकथित गौरक्षकों के खिलाफ कार्रवई की है। आशा है कि आने वाले समय में इस तरह की घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगेगा।
रिजवी ने यह भी कहा कि देश में अल्पसंख्यकों को सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिल पाने की एक बड़ी वजह लोगों में जागरूकता की कमी है। बहुत सारे लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में पता ही नहीं है इसलिए वे लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। हम जागरूकता बढ़ाने की कोशिश करेंगे तथा सम्मेलनों और संगोष्ठियों का आयोजन करके लोगों को जागरूक बनाने का प्रयास करेंगे। (भाषा)