नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से दिल्ली के लाल किले में स्थापित 'क्रांति मंदिर' देखने का अनुरोध करते हुए रविवार को कहा कि राष्ट्र के नायकों के शौर्य और देशभक्ति को नई पीढ़ी तक बार-बार और अलग-अलग रूप से निरंतर पहुंचाने की आवश्यकता होती है।
मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 52वें संस्करण में कहा कि देश के महापुरुषों ने मानवता के लिए कुछ अद्भुत और अविस्मरणीय कार्य किए हैं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती 23 जनवरी को पूरे देश ने एक अलग अंदाज में मनाई गई। इस अवसर पर आजादी के संघर्ष में अपना योगदान देने वाले वीरों को समर्पित एक संग्रहालय का उद्घाटन किया गया। लाल किले के भीतर बंद कमरों को बहुत सुन्दर संग्रहालयों में बदला गया है। इनमें नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, आजाद हिन्द फौज, याद-ए-जलियां और 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित संग्रहालय बनाए गए हैं और इस पूरे परिसर को 'क्रांति मंदिर' का नाम दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इन संग्रहालयों की एक-एक ईंट में हमारे गौरवशाली इतिहास की खुशबू बसी है। संग्रहालय के चप्पे-चप्पे पर हमारे स्वाधीनता संग्राम के वीरों की गाथाओं को बयां करने वाली बातें इतिहास के भीतर जाने के लिए प्रेरित करती हैं। इसी स्थान पर भारत मां के वीर बेटों- कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लो और मेजर जनरल शाहनवाज खां पर अंग्रेज हुकूमत ने मुकदमा चलाया था।
मोदी ने कहा कि संग्रहालय में नेताजी की एक खास टोपी रखी गई है जिससे वहां आने वाले लोगों को इससे देशभक्ति की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि दरअसल अपने नायकों के शौर्य और देशभक्ति को नई पीढ़ी तक बार-बार अलग-अलग रूप से निरंतर पहुंचाने की आवश्यकता होती है। 30 दिसंबर को अंडमान और निकोबार द्वीप में एक कार्यक्रम में ठीक उसी स्थान पर तिरंगा फहराया गया, जहां नेताजी सुभाष बोस ने 75 साल पहले तिरंगा फहराया था। इसी तरह से पिछले साल अक्टूबर में आजाद हिन्द सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर लाल किले पर तिरंगा फहराया गया।
उन्होंने नेताजी के नारों का उल्लेख करते हुए कहा कि सुभाष बाबू को हमेशा एक वीर सैनिक और कुशल संगठनकर्ता के रूप में याद किया जाएगा। वे एक ऐसा वीर सैनिक थे जिसने आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। कई वर्षों तक यह मांग रही कि नेताजी से जुड़ीं फाइलों को सार्वजनिक किया जाए और यह काम हो गया है तथा भारत के महान नायकों से जुड़े कई स्थानों को दिल्ली में विकसित करने का प्रयास हुआ है। इनमें बाबा साहेब अंबेडकर से जुड़ा 26, अलीपुर रोड, सरदार पटेल संग्रहालय और क्रांति मंदिर शामिल हैं। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि दिल्ली आने पर वे इन स्थानों को जरूर देखें।
नेताजी की जिंदगी से जुड़ा एक किस्सा साझा करते हुए मोदी ने कहा कि नेताजी का रेडियो के साथ काफी गहरा नाता था और उन्होंने देशवासियों से संवाद करने के लिए रेडियो को चुना था। उन्होंने कहा कि साल 1942 में सुभाष बाबू ने 'आजाद हिन्द रेडियो' की शुरुआत की थी और रेडियो के माध्यम से वे 'आजाद हिन्द फौज' के सैनिकों और देश के लोगों से संवाद करते थे।
सुभाष बाबू का रेडियो पर बातचीत शुरू करने का एक अलग ही अंदाज था। वे बातचीत शुरू करते हुए सबसे पहले कहते थे- 'दिस इज सुभाष चन्द्र बोस स्पीकिंग टू यू ओवर द आजाद हिन्द रेडियो'। इससे श्रोताओं में नए जोश और नई ऊर्जा का संचार होता था। आजाद हिन्द रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम सामान्यजन के बीच काफी लोकप्रिय थे और उनके कार्यक्रमों से हमारे स्वाधीनता संग्राम के योद्धाओं को भी बहुत ताकत मिली।
उन्होंने क्रांति मंदिर का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें एक दृश्यकला संग्रहालय भी बनाया गया है। भारतीय कला और संस्कृति बहुत ही आकर्षक तरीके से बताने का प्रयास यह हुआ है। संग्रहालय में 4 ऐतिहासिक प्रदर्शनी हैं और 3 सदी पुरानी 450 से अधिक पेंटिंग्स और कलाकृतियां मौजूद हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संग्रहालय में अमृता शेरगिल, राजा रवि वर्मा, अवनीन्द्र नाथ टैगोर, गगनेन्द्र नाथ टैगोर, नंदलाल बोस, जामिनी राय, सैलोज मुखर्जी जैसे महान कलाकारों के उत्कृष्ट कार्यों का बखूबी प्रदर्शन किया गया है। मैं आप सबसे विशेष रूप से आग्रह करूंगा कि आप वहां जाएं और गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोरजी के कार्यों को अवश्य देखें। उन्होंने कई विषयों पर पेंटिंग्स बनाई हैं। उन्होंने पशु-पक्षियों के भी चित्र बनाए हैं।उन्होंने कई सारे सुंदर परिदृश्यों के भी चित्र बनाए हैं। (वार्ता)