नई दिल्ली। जीवन में आत्मविश्वास एवं एकाग्रता के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को छात्रों से कहा कि हमेशा निरंतर प्रयासों एवं आत्मावलोकन से आत्मविश्वास आता है और उन्हें अपने दिमाग से ये निकाल देना चाहिए कि कोई परीक्षा लेने वाला है और अंक देने वाला है बल्कि उन्हें स्वयं अपना परीक्षक बनना चाहिए।
'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम के माध्यम से दिल्ली में छात्रों से सीधा संवाद एवं अन्य क्षेत्रों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संपर्क करते हुए मोदी ने कहा कि आत्मविश्वास बहुत आवश्यक है। लेकिन आत्मविश्वास कोई जड़ी-बूटी नहीं है कि मम्मी या कोई कह दें कि एग्जाम में जाने से पहले ऐसा टेबलेट ले लेना और आ जाए। हर पल कसौटी पर कसने की आदत डालनी होगी। आत्मविश्वास हर पल प्रयासों के साथ आता है।
मोदी ने इस संदर्भ में कनाडा के स्नो बोर्ड के खिलाड़ी का उदाहरण दिया, जो दक्षिण कोरिया में स्नो बोर्ड खेल में हिस्सा लेने और कांस्य पदक जीतने से पहले दुर्घटना का शिकार हो गया था। वह युवक कोमा में चला गया था लेकिन कोमा से लौटने के बाद उसने अपने देश के लिए ब्रांज मेडल जीता जबकि उसकी हड्डी-पसली टूट गई थी।
प्रधानमंत्री ने एकाग्रता के लिए योग के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि यह बॉडी बाइंडिंग का काम नहीं है। इसका काम शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को एक लय में चलाना होता है। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित समारोह में मोदी ने उपस्थित छात्रों से कहा कि आप लोग टेंशन में हैं क्या? यह भूल जाइए कि आप प्रधानमंत्री से बात कर रहे हैं। यह सोचिए मैं आपका दोस्त हूं।
नोएडा से कनिष्का वत्स ने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि अगर कोई स्टूडेंट पढ़ाई पर ध्यान लगाना चाहता है लेकिन ध्यान बंटता है तो क्या करना चाहिए? प्रधानमंत्री ने कहा कि स्कूल जाते वक्त दिमाग से यह निकाल दें कि आप परीक्षा देने जा रहे हैं। आप यह समझिए कि आप ही अपने को अंक देने वाले हैं। इस भाव के साथ आप परीक्षा में बैठिए।
मोदी ने इस संदर्भ में कहा कि सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि वे यह नहीं सोचते कि आगे वाली गेंद कैसी होगी या पिछली गेंद कैसी थीं बल्कि उस समय की गेंद खेलते हैं। वर्तमान में जीने की आदत ध्यान केंद्रित करने का रास्ता खोल देती है। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि अतीत का महत्व नहीं है, अतीत का अपना महत्व है, लेकिन जब वह बोझ बन जाता है तो भविष्य के सपने रौंद देता है और वर्तमान भी मुश्किलोंभरा हो जाता है। अपने आपको जानने की कोशिश करें।
परीक्षा के दबाव के संबंध में छात्रों के सवालों के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि आप अपने दोस्तों के साथ स्पर्धा में क्यों उतरते हैं? आपके सपने अलग हैं, वातावरण अलग है। पहले हमें खुद को जानना चाहिए। जब आप प्रतिस्पर्धा में उतरते हैं तो तनाव महसूस होता है। आप खुद के लिए काम करें। प्रतिस्पर्धा अपने आप हो जाएगी, पहले आप खुद को जानने की कोशिश करें और जिसमें समर्थ हैं, उसी में आगे बढ़ने की कोशिश करिए।
उन्होंने कहा कि अगर एक बार हम खुद से दो कदम आगे बढ़ना सीख लेंगे तो भीतर से ऊर्जा प्रकट होगी, जो नए क्षितिजों को पार करने की ताकत देगी इसलिए प्रतिस्पर्धा से निकलकर अनुस्पर्धा करें इसलिए स्वयं से स्पर्धा करें। दिल्ली से दीपशिखा और लद्दाख से एक छात्रा ने कहा कि परीक्षा के दौरान मां-बाप बच्चों पर दबाव बनाते हैं लेकिन संतुष्ट नहीं होते हैं। इससे बच्चों की अंदर की इच्छाएं मर जाती हैं। (भाषा)