नई दिल्ली। चीनी अखबारों ने शनिवार को मोदी-शी के 'ऐतिहासिक महत्व' वाले अनौपचारिक वुहान सम्मेलन की खबरों को प्रमुखता से जगह दी और इसकी जमकर तारीफ भी की। चीन के प्रभावी और प्रमुख सरकारी अखबार पीपुल्स डेली की प्रमुख खबर इस सम्मेलन के बारे में है और इसके पहले पन्ने पर मोदी और शी की मुलाकात की दो तस्वीरें प्रकाशित की गई हैं।
एक और प्रमुख अखबार चाइना डेली अपने संपादकीय में कहता है, 'राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच वुहान में आयोजित इस अनौपचारिक सम्मेलन की खूबसूरती यह है कि इसमें किसी तरह का बोझ नहीं बल्कि सिर्फ उम्मीदें हैं। यह पारंपरिक राजनयिक दिखावटी चीजों से मुक्त है, कुछ ऐसा जो वैश्विक मीडिया की चर्चा से परे है।'
इसी तरह से शंघाई डेली ने लिखा है कि 'दोनों देशों में एक-दूसरे के प्रति बने अविश्वास की वजह से सहयोग गहरा नहीं हो पा रहा है और क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मसलों पर साथ मिलकर काम करने में अड़चन है। पिछले साल गर्मियों में सीमा पर हुई (डोकलाम) घटना इस बात का उदाहरण है कि पारस्परिक अविश्वास क्या कर सकता है। इसके बावजूद चीन या भारत ने कभी भी एक-दूसरे को दुश्मन नहीं कहा है, जिसका मतलब यह है कि दोनों देश द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार की उम्मीद रखते हैं।'
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट लिखता है कि चीन के साथ बेहतर संवाद बनाकर भारत कैसे आसियान से लाभ उठा सकता है। पत्र ने पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिखा एक अंश लिखा है कि 'यह न भूलें कि दक्षिण पूर्व एशिया में बुनियादी चुनौती केवल भारत और चीन के बीच ही है। यह चुनौती एशिया के मेरूदंड के साथ-साथ चलती है।'
वहीं चीन के सबसे बड़े सरकारी पत्र ग्लोबल टाइम्स में शी का बयान छपा है जिसमें कहा गया है कि 'भारत और चीन को अपने अंतरों को अधिक परिपक्व तरीके से मैनेज करना चाहिए।' विदित हो कि अन्य समाचार पत्रों जैसे शंघाई स्टार, शेनजेन डेली, शंघाई इवनिंग पोस्ट एंड मरकरी में भी इसी तरह की भावनाएं जाहिर की गई हैं।