नई दिल्ली,अंतरिक्ष के रहस्यों से पर्दा उठाने की दिशा में विश्वभर में अनेक वैज्ञानिक शोध में जुटे हुए हैं। हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अध्ययनकर्ताओं को हमारे सौरमंडल में मौजूद ग्रह यूरेनस की ओर से एक्स-रे विकिरण आती हुई दिखाई दी हैं। हालांकि, एक्स-रे के इस परावर्तन के कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हैं।
नासा के खगोलविदों को संकेत मिले हैं, जिससे यह पता चला है कि इन एक्स-रे विकिरण का स्रोत यूरेनस ग्रह पर ही मौजूद हो सकता है। हालांकि, खगोलविद अभी तक स्पष्ट रूप से यह पता नहीं कर सके हैं कि वास्तव में ये एक्स-रे विकरण आ कहां से रहे हैं। लेकिन, फिर भी उन्होंने इसकी दो संभावित व्याख्याएं दी हैं।
पहली व्याख्या के अनुसार, इसका कारण सूर्य हो सकता है, जो यूरेनस और नेप्च्यून जैसे ग्रहों पर अपना समान प्रभाव डालता है, जो एक्स-रे के प्रकाश को बिखेरता है। वहीं, दूसरी संभावित व्याख्या के अनुसार यूरेनस के छल्लों में इस विकरण के प्रक्रिया छिपी हो सकती है। इन छल्लों से ग्रह के पास के वातावरण में मौजूद इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन जैसे कणों में टकराव के कारण ऐसा हो सकता है।
यह अध्ययन, नासा के चंद्रा स्पेस टेलीस्कोप द्वारा वर्ष 2002 से लेकर वर्ष 2017 के अवलोकनों पर आधारित है। वर्ष 2002 में, पहली बार ग्रह के एक्स-रे के विश्लेषण में स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया, और जब इसकी तुलना वर्ष 2017 में प्राप्त विश्लेषण से की गई, तो उसकी चमक संभवता समान पायी गई।
अध्ययन में कहा गया है कि यूरेनस और नेप्च्यून को छोड़कर सौर मंडल के अन्य ग्रहों में एक्स-रे का पता लगाना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, अध्ययन में यह भी कहा गया है कि एक्स-रे उत्सर्जन को समझने से ग्रह की विशेषताओं और इसकी संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकती है। (इंडिया साइंस वायर)