जैसलमेर। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने गुरुवार को जैसलमेर की पोकरण फायरिंग रेंज में मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
डीआरडीओ सैन्य विशेषज्ञों की उपस्थिति में इस मिसाइल का यूजर ट्रायल किया गया जो कि पूरी तरह सफल रहा। परीक्षण में मिसाइल ने अपनी अधिकतम मारक क्षमता ढाई किलोमीटर की दूरी तक जाकर अपने लक्ष्य को सफलता पूर्व ध्वस्त किया। अभी तक इस मिसाइल का नामकरण नहीं किया गया हैं। यह परीक्षण अभी भी चल रहा हैं।
रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय सेना देशी हथियारो के जरिए अपनी ताकत को और मजबूत करने में जुटी हुई हैं। उसके अन्तर्गत डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई इस मिसाइल के परीक्षणों से हुए धमाकों से पोकरा रेंज गुंजायमान हो गई। सेना एवं डीआरडीओ के उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में संपन्न हुई यूसर ट्रायल के दौरान मिसाईल ने अपने टार्गेट पर हिट करते हुऐ सफलता हासिल की।
सूत्रों ने बताया कि गत वर्ष सितंबर में इस मिसाइल के परीक्षण महाराष्ट्र के अहमदनगर में किए गए थे। इसके बाद सेना को सौंपने के लिए अब यूजर्स ट्रायल किया जा रहा है। युद्ध क्षेत्र में सेना के जवानों द्वारा कंधे पर रखकर एंटी टैंक की सेना को बेहद आवश्यकता होती हैं। सेना वर्तमान में फ्रांस की मिलान एवं रूस की कॉकूर एंटी टैंक मिसाइल काम में ले रही है, लेकिन ये दोनों दूसरी पीढ़ी की मिसाइल है। सेना को प्राथमिकता के आधार पर तीसरी श्रेणी की मिसाइल की आवश्यकता है। एक निजी कंपनी के साथ मिलकर डीआरडीओ ने इस एंटी टैंक मिसाइल को विकसित किया हैं।
सूत्रों ने बताया कि करीब साढ़े चौदह किलोग्राम वजनी इस मिसाइल को कंधे पर रख रात या दिन में कभी भी दागा जा सकता है। फायर एंड फॉरगेट की तर्ज पर विकसित यह मिसाइल स्थिर या गतिशील लक्ष्य पर सटीक प्रहार करने में सक्षम है। डीआरडीओ की योजना है कि वर्ष 2021 तक इसका व्यापक स्तर पर उत्पादन शुरू कर दिया जाए।