नई दिल्ली। अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अब शुद्ध भारतीय चिकित्सा पद्धति योग और आयुर्वेद से इलाज की सुविधा भी उपलब्ध होगी। इसके लिए एम्स में अलग से 'इंटीग्रेटेड मेडिसिन एंड रिसर्च सेंटर' के नाम से एक चिकित्सा और अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई है।
स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने एम्स के निदेशक प्रोफेसर एमसी मिश्रा और एस. व्यास विश्विविद्यालय के कुलपति एवं प्रसिद्ध योगाचार्य डॉ. एचआर नागेन्द्र की मौजूदगी में इस केंद्र का उद्घाटन किया। इस केन्द्र में योग और आयुर्वेद तथा यूनानी चिकित्सा पद्धतियों पर अनुसंधान कार्य भी होंगे।
नड्डा ने इस अवसर पर कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अपना स्थान है, लेकिन इसके साथ ही योग, आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों का भी महत्व है। ये चिकित्सा पद्धतियां हजारों वर्ष से प्रचलित रही हैं और इनकी विश्वसनीयता समय के धरातल पर खरी उतरी हैं। योग एवं पारंपरिक इलाज पद्धति में बीमारी के उपचार के साथ ही बचाव की दिशा में भी काम होता है।
लोगों को आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा सुविधा एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए नए केंद्र की शुरुआत की गई है। आने वाले समय में देशभर के अन्य अस्पतालों में भी ऐसे केंद्र खोले जाएंगे।
करीब तीन वर्ष पहले हरिद्वार में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एम्स में योग सेंटर खोलने की घोषणा की थी। उनकी यह योजना आज साकार हो गई। एम्स के निदेशक ने कहा कि योग के सार्थक प्रभावों एवं सफल नतीजों की लंबी फेहरिस्त तो है, लेकिन इस पर अभी तक साक्ष्य आधारित नतीजों की वैज्ञानिक पड़ताल नहीं की गई थी।
यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर देश ही नहीं पूरी दुनिया में योग के वैज्ञानिक पहलुओं पर नजर डाली जा रही है। (वार्ता)