Cerelac and milk powder of Nestle products are dangerous for children: स्वीडन की एक संस्था पब्लिक आई और अतंरराष्ट्रीय बेबी फूड एक्शन नेटवर्क की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कम आय वाले देशों में नेस्ले के बच्चों से संबंधित दो उत्पाद सेरेलक और मिल्क पाउडर में शुगर की मात्रा अधिक पाई गई है।
सबसे बड़ी बात है कि जिन देशों में नेस्ले के उत्पादों में शुगर ज़्यादा पाई गई है, उसमें भारत का नाम भी है। नेस्ले के ये उत्पाद बच्चों के सेवन करने के लिए होते हैं और काफी लोकप्रिय भी हैं।
मीठे की लत पैदा करते हैं उत्पाद : रिपोर्ट में कहा गया है कि नेस्ले कंपनी के अपने देश स्विट्जरलैंड में ये दोनों उत्पाद बिना शुगर के बेचे जा रहे हैं। पब्लिक आई की जांच में दावा किया गया है कि नेस्ले कम आय वाले देशों के बच्चों में मीठे की लत पैदा करता है।
क्या कहती है जांच रिपोर्ट : पब्लिक आई और अतंरराष्ट्रीय बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने नेस्ले के एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेचे जाने वाले उत्पादों को बेल्जियम की लैब में जांच के लिए भेजा था। पब्लिक आई की रिपोर्ट के मुताबिक, सेरेलक की एक खुराक में औसतन 4 ग्राम शुगर होती है और यह 6 महीने की उम्र तक के बच्चों को दिया जाता है। भारत में दी जाने वाले सेरेलक की एक खुराक में 3 ग्राम शुगर पाई गई।
नेस्ले के दोहरे मापदंड : एक याचिका में दावा किया गया कि नेस्ले दोहरे मापदंड का इस्तेमाल कर रहा है, नेस्ले के उत्पादों में शुगर की मात्रा अधिक होने की वजह से बच्चों में मोटापा बढ़ने का खतरा है। गरीब देशों में नेस्ले का सेरेलक और मिल्क पाउडर सबसे ज्यादा बिकने वाले बेबी फूड प्रोडक्ट हैं।
क्या कहा कंपनी ने : नेस्ले की और से बयान आया है कि वे बच्चों के विकास के लिए पोषक तत्वों की गुणवत्ता में विकास रखते हैं और बच्चों की सही वृद्धि और विकास के लिए उत्पादों में गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखते हैं। पूरी दुनिया में बेबी फूड मार्केट के 20 फीसदी हिस्से पर नेस्ले का कब्जा है और कंपनी की वेल्यू 70 बिलियन डॉलर है। 2022 में सिर्फ भारत में नेस्ले ने 250 मिलियन डॉलर की कमाई की है। (प्रतीकात्मक फोटो)