नई दिल्ली।मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना सहित अन्य जानकारी जुटाने के लिए अब तक 40 से अधिक अभियान भेजे गए हैं। वहीं नासा के एक रोवर के गुरुवार को लाल ग्रह पर उतरने का कार्यक्रम है। हाल ही में मंगल के उत्तरी हिस्से में मीथेन के गुबार का पता चला है, जो बहुत ही रुचि का विषय बन गया है क्योंकि इसकी जैविक उत्पति होने की संभावना है। साथ ही, अन्य पहलू भी हो सकते हैं।
मीथेन (सीएच4) पृथ्वी के वायुमंडल में गैस के रूप में पाया जाता हैं पृथ्वी पर 90 प्रतिशत से अधिक मीथेन सजीव प्राणियों एवं वनस्पति द्वारा पैदा किया जाता है। मंगल ग्रह के मामले में फरवरी का महीना अहम माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अभियान विभिन्न चरणों में हैं।
नासा अपने रोवर प्रीजरवेंस को जेज़ीरो क्रेटर (महाखड्ड) में उतारने की तैयारियों में जुटा हुआ। वैज्ञानिकों का मानना है कि अरबों साल पहले लाल ग्रह पर जीवन की मौजूदगी हो सकने के बारे में वहां कुछ संकेत संरक्षित होंगे। आठ देशों ने मंगल पर अपने अभियान भेजे हैं।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक, उसके इस रोवर के 18 फरवरी को लाल ग्रह पर उतरने का कार्यक्रम है। चीन ने अपने मंगल अभियान के तहत तियानवेन-1 पिछले साल 23 जुलाई को लाल ग्रह के लिए रवाना किया था। यह 10 फरवरी को मंगल की कक्षा में पहुंचा। इसके लैंडर के यूटोपिया प्लैंटिया क्षेत्र में मई 2021 में उतरने की संभावना है।
यूएई का मंगल मिशन होप भी इस महीने मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया। गौरतलब है कि पूर्व सोवियत संघ ने सबसे पहले मंगल के लिए एक अभियान भेजा था। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के डेटाबेस के मुताबिक, मार्सनिक-1 को 10 अक्टूबर 1960 को रवाना किया गया था।
भारत उन कुछ गिने-चुने देशों में शामिल है, जो मंगल अभियान के अपने प्रथम प्रयास में ही सफल रहा है। मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) को 23 नवंबर 2013 को रवाना किया गया था।(भाषा)