श्रीनगर। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के साथ अलगाववादियों के संबंध का खुलासा करते हुए दावा किया है कि सैयद अली शाह गिलानी के तहरीक-ए-हुर्रियत और हिज्बुल मुजाहिदीन की वेबसाइट को रावलपिंडी में बैठे एक ही शख्स के द्वारा डिजाइन और संचालित किया जाता है।
जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग केस में एनआईए की चार्जशीट में पाकिस्तान के द्वारा अलगाववादियों को तकनीकी सपॉर्ट की जानकारी हासिल हुई है। चार्जशीट के अनुसार रावलपिंडी में रह रहा जकीरूल्लाह नामक पाकिस्तानी नागरिक ही तहरीक-ए-हुर्रियत की वेबसाइट www.thjk.org और हिज्बुल मुजाहिदीन की वेबसाइट www.hizbulmedia.org को मैनेज कर रहा है।
इन दोनों पोर्टल्स पर रजिस्टर टेलिफोन नंबर जकीरूल्लाह का ही है। वह चार्जशीटेड या गिरफ्तार अलगाववादी नेताओं के बराबर सम्पर्क में रहता है।पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, आईएसआई, ने एक 'कश्मीर कमिटी' का गठन किया है, जिसके प्रमुख ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी होते हैं।
इसका मुख्य काम आतंकी हमले, हिंसा, पत्थरबाजी, फंडिंग, भर्ती और अन्य भारत विरोधी कामों को अंजाम देना है। इस समिति में पाकिस्तानी सेना, आईएसआई, यूनाइटेड जेहाद काउंसिल और अन्य अलगाववादी शामिल होते हैं। यह पाकिस्तान के द्वारा संगठित तौर पर चलाया जा रहा प्लान है, जिसमें कश्मीर में बसे अलगाववादी नेताओं को प्रतिबंधित आतंकी गुटों के साथ जोड़ने का काम होता है।
इनमें ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस, जिसमें कश्मीर के अलगाववादी नेता गिलानी, मीरवाइज उमर फारुक और यासिन मलिक शामिल हैं। इनका इस्लामाबाद में गुलाम मोहम्मद सफी नामक एक संयोजक है। 300 से अधिक गवाहों के डॉक्युमेंट, ई-मेल, विडियो, मेसेज से यह साबित हो गया है कि कश्मीर के अलगाववादी और पाकिस्तानी संगठन आपस में जुड़े हुए हैं।
12,794 पेजों की चार्जशीट में एनआईए ने लश्कर-ए-तैयबा चीफ हाफिज सईद, हिज्बुल मुजाहिदीन के नेता सैयद सलाहुद्दीन और सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह सहित सात लोगों का नाम दर्ज है।