नई दिल्ली। निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के दोषी अक्षय कुमार ने 20 मार्च को तय फांसी से महज 3 दिन पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दूसरी दया याचिका दायर की है।
तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने कहा कि कुमार ने मंगलवार की शाम को राष्ट्रपति को संबोधित याचिका दायर की। फांसी तिहाड़ जेल में ही दी जानी है। उन्होंने कहा, ‘इस याचिका को भी दिल्ली सरकार के मार्फत गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा।’
ICJ दोषियों की फांसी पर नहीं लगा सकता है रोक : उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी एन श्रीकृष्ण ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय निर्भया मामले में दोषियों की 20 मार्च को तय फांसी पर रोक नहीं लगा सकता।
निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड मामले के चार दोषियों में से तीन ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) का दरवाजा खटखटाकर अपनी ‘गैरकानूनी फांसी की सजा’ रोकने का अनुरोध किया है। उनका आरोप है कि उन्हें ‘दोषपूर्ण’ जांच के जरिए दोषी करार दिया गया और प्रयोग का माध्यम (गिनी पिग) बनाया गया है।
न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण ने दोषियों की अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आईसीजे उन्हीं मामलों में कुछ कर सकता है जो उसके क्षेत्राधिकार में आते हों। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि आईसीजे इस मामले में दखल देकर फांसी रोक सकता है।' उन्होंने यह भी कहा कि आईसीजे अपील की अगली अदालत नहीं है।
पूर्व न्यायाधीश ने कहा, 'उनके (दोषियों) लिए भगवान की अदालत ही अंतिम अपीलीय अदालत है। मानवाधिकार आयोग भी तभी दखल दे सकते हैं जब नैसर्गिक न्याय न हुआ हो।'
उन्होंने कहा, 'इस मामले में उचित प्रक्रिया के तहत पहले निचली अदालत, फिर उच्च न्यायालय और उसके उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। इसके अलावा, सभी दोषियों ने शीर्ष अदालत में कई पुनर्विचार याचिकाएं और सुधारात्मक याचिकाएं भी दायर कीं।'
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक निकाय उन मामलों पर निर्णय नहीं ले सकता है, जिन पर भारतीय न्यायपालिका पहले ही सुनवाई और अपील प्रक्रियाओं के माध्यम से निर्णय ले चुकी है।