पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरोप लगाया कि नोटबंदी के दौरान बैंकों ने अपना काम ठीक से नहीं किया, यही वजह है कि लोगों को नोटबंदी का जितना फायदा मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पाया।
बैंकों की राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की तिमाही समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा की बड़े डिफाल्टर भारी कर्ज राशि लेने में सफल रहे और उसके बाद देश छोड़कर भाग गए जबकि गरीब आदमी को कर्ज वसूली के कठोर उपायों का सामना करना पड़ता है।
नीतीश कुमार ने यह कहकर अप्रत्यक्ष रूप से पंजाब नेशनल बैंक में हाल में हुये नीरव मोदी घोटाले की तरफ इशारा किया। उन्होंने कहा, 'छोटे कर्जदारों को दिये कर्ज को लेकर तो बैंक काफी सख्ती दिखाते हैं , ऐसी ही सख्ती बड़े कर्जदारों के मामले में क्यों नहीं दिखाई जाती है?'
उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार ने नोटबंदी के उपाय का उस समय भी समर्थन किया था जब वह राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ महागठबंधन की सरकार चला रहे थे। नीतीश जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
बैंकों की बैठक में उन्होंने कहा, 'मैंने नोटबंदी का समर्थन किया था, लेकिन बैंकों ने नोटबंदी में जिस तरह की भूमिका निभाई उसकी वजह से लोगों को उतना फायदा नहीं मिल पाया जितना मिलना चाहिये था। लोगों ने बंद किए गए नोटों की भारी राशि जमा कराई जो कि बाद में वाजिब धन बन गया।'
नीतीश कुमार ने बैंकों से सहयोग नहीं मिलने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि राज्य छात्र क्रेडिट कार्ड योजना के तहत प्रत्येक 100 रुपये के उधार के लिए बिहार सरकार ने 160 रुपए की गारंटी की पेशकश की है इसके बावजूद बैंकों का राज्य को समर्थन नहीं मिल पा रहा है।
राज्य के उप - मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बैठक के बाद संवाददाताओं के साथ बातचीत में इस तरह के सुझावों को खारिज कर दिया कि नीतीश के कहने का तात्पर्य यह था कि नोटबंदी अपने उद्देश्य को पाने में असफल रही।
मोदी ने कहा, 'यह समझना पूरी तरह से गलत होगा। मुख्यमंत्री ने यह नहीं कहा कि नोटबंदी असफल रही है। उन्होंने यह कहा कि नोटबंदी को अमल में लाते समय कुछ बैंकों की भूमिका ठीक नहीं रही ... उस समय जिन नोटों को चलन से हटाया गया था उनको अनियमित ढंग से बैंकों में जमा होने की रिपोर्टें उस समय आई थी।'
उप - मुख्यमंत्री ने हालांकि राज्य के सालाना रिण योजना लक्ष्य के 91 प्रतिशत हासिल करने की सराहना की। राज्य के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपए के सालाना रिण लक्ष्य के मुकाबले बैंकों ने 2017-18 में 99,934 करोड़ रुपए का ऋण वितरण किया जो कि लक्ष्य का 90.85 प्रतिशत रहा। (भाषा)