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महागठबंधन सरकार गिरना तय, नीतीश कुमार रविवार को 9वीं बार ले सकते हैं शपथ, डिप्टी CM पद के लिए भी ये 2 नाम फाइनल

हमें फॉलो करें महागठबंधन सरकार गिरना तय, नीतीश कुमार रविवार को 9वीं बार ले सकते हैं शपथ, डिप्टी CM पद के लिए भी ये 2 नाम फाइनल

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

पटना , शनिवार, 27 जनवरी 2024 (22:30 IST)
Politics of Bihar : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार सुबह तक पद से इस्तीफा दे सकते हैं। मुख्यमंत्री के एक करीबी सूत्र ने शनिवार को यह जानकारी दी। नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर सूत्र ने बताया कि नीतीश कुमार के शनिवार देर शाम तक इस्तीफे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वैसे यह (इस्तीफा) निश्चित रूप से रविवार सुबह तक होगा। नीतीश कुमार एक बार NDA के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे।

मीडिया खबरों के मुताबिक नीतीश 2 डिप्टी सीएम के साथ शपथ लेंगे। भाजपा-जेडीयू की तरफ से 14-14 मंत्री शपथ ले सकते हैं। जीतन राम मांझी की पार्टी ने भी 2 मंत्री पद की मांग की है। शपथ समारोह में गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हो सकते हैं।

2 डिप्टी सीएम : नीतीश कुमार इसके बाद 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वे आरजेडी और कांग्रेस का साथ छोड़ने के बाद BJP के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। सरकार बनाने का बाकी फॉर्मूला भी तय हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ और कौन शपथ लेगा, ये भी तय हो गया है। संभवतः बीजेपी नेता सुशील मोदी और रेणु देवी डिप्टी सीएम पद की शपथ ले सकती हैं।

मांझी ने मांगे 2 मंत्री पद : पूर्व सीएम जीतनराम मांझी की पार्टी हम के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम सुंदर शरण ने बनने वाली नई सरकार में पार्टी के लिए कम से कम दो मंत्री पद की मांग की है।  हम पार्टी गरीब गुरबों की बात करती है। ऐसे में हम को बेहतर सेवा देने के लिए कम से कम पार्टी के तरफ से 2 मंत्री पद जरूर मिलनी चाहिए। यह हमारी शर्त नहीं कार्यकर्ताओं और समर्थकों की मांग है। वैसे हम बगैर किसी पद के भी मोदीजी के साथ खड़े हैं।
 
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के 16 सांसद हैं, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की एक अन्य सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के 6 सांसद हैं। हालांकि पार्टी अब चाचा-भतीजे- पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच विभाजित हो गई है।
 
सूत्र ने यह भी कहा कि इस्तीफा देने से पहले जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार विधायक दल की एक पारंपरिक बैठक करेंगे।
 
सूत्र ने कहा कि भाजपा के समर्थन से एक नई सरकार बनने की संभावना के बीच सचिवालय जैसे सरकारी कार्यालयों को रविवार को खुला रखने के लिए कहा गया है।
 
इस बीच, भाजपा की प्रदेश इकाई के नेताओं ने पार्टी की एक बैठक के दौरान जद(यू) के ‘महागठबंधन’ से बाहर निकलने की स्थिति में कुमार का समर्थन करने की औपचारिक घोषणा नहीं की।
 
भाजपा के सूत्रों ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व से निर्देश प्राप्त हुए हैं कि कुमार के इस्तीफा देने तक कोई भी औपचारिक घोषणा नहीं की जाए।
 
भाजपा की बढ़ी बैठक : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सत्तारूढ़ ‘महागठबंधन’ का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने की योजना बनाने के मजबूत संकेतों के बीच भाजपा की प्रदेश इकाई के नेता राज्य की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए शनिवार को यहां एकत्र हुए।
बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने वीरचंद पटेल मार्ग स्थित कार्यालय में पार्टी की बैठक से पहलेकहा कि ‘‘हम यहां आगामी लोकसभा चुनावों पर विचार-विमर्श करने आए हैं। बिहार की मौजूदा स्थिति पर भी चर्चा की जाएगी। बैठक में पार्टी के सांसद भी शामिल हो रहे हैं। बिहार में भाजपा के पास सबसे अधिक 17 सांसद हैं, जहां लोकसभा सदस्यों की कुल संख्या 40 है।
 
इससे पहले, भाजपा की बिहार राज्य इकाई के प्रभारी विनोद तावड़े ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल (यूनाइटेड) के अलग होने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। नीतीश कुमार को विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन का वास्तुकार माना जाता है।
 
पार्टी नेताओं ने अब तक कुमार को समर्थन देने के बारे में स्पष्ट बयान देने से परहेज किया है, जिनके राजग में लौटने से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की उम्मीद है।
 
2022 में राजग से हुए थे अलग : राजग के 1990 के दशक से सहयोगी रहे कुमार ने अगस्त 2022 में गठबंधन छोड़ दिया था और भाजपा द्वारा जदयू में विभाजन की कोशिश और 2020 के विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी की सीटों की संख्या नीचे लाने की साजिश रचने का संदेह जताया था।
 
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि तीन साल से भी कम समय पहले हुए घटनाक्रम के परिणामस्वरूप पार्टी की सत्ता छिन गई थी और कहा कि बैठक में ‘‘विभागों के वितरण पर भी निर्णय होने की संभावना है।’’
 
सत्ता से बाहर होने तक, भाजपा के पास अपनी बेहतर संख्या बल के आधार पर कैबिनेट विभागों में एक बड़ी हिस्सेदारी थी और उसके दो नेता तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी उपमुख्यमंत्री थे।

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