लखनऊ। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बुधवार को हुए विस्तार में उत्तर प्रदेश के जिन 7 मंत्रियों को शामिल किया गया है उनके चयन में जातिगत समीकरण को साधते हुए अगले वर्ष के शुरू में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा गया है। राज्य से जो नए केंद्रीय मंत्री बनाए गए हैं, उनमें से 3 का संबंध पिछड़े वर्ग, 3 का दलित समूह है जबकि एक ब्राह्मण समुदाय से हैं। हालांकि इन सात चेहरों में से केवल एक सहयोगी दल का है और शेष भाजपा के ही सांसद हैं।
मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए मंत्रियों में महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से भाजपा से छठवीं बार चुने गए पंकज चौधरी और मिर्जापुर से भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) से दूसरी बाद की सांसद अनुप्रिया पटेल पिछड़े वर्ग के कुर्मी समाज से हैं जबकि बदायूं निवासी राज्यसभा सदस्य बीएल वर्मा पिछड़े वर्ग के लोधी राजपूत हैं।
अनुसूचित जाति वर्ग में आगरा से भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह बघेल धनगर, जालौन के सांसद भानु प्रताप वर्मा-कोरी और लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र के सांसद कौशल किशोर पासी समाज से आते हैं। इनके अलावा लखीमपुर खीरी से दूसरी बार के सांसद अजय कुमार ब्राह्मण समाज से हैं।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री व विधान परिषद सदस्य गोविंद नारायण शुक्ल ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद विस्तार में उत्तर प्रदेश को विशेष महत्व के साथ समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिला है और ये सभी संगठन के अनुभवी लोग हैं और पार्टी के साथ ही आमजन की उम्मीदों पर भी खरा उतरेंगे।
उप्र कोटे से शामिल किए गए मंत्रियों में सिर्फ अनुप्रिया पटेल सहयोगी अपना दल (एस) की हैं जबकि बाकी सभी भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं। पंकज चौधरी को केंद्र में संतोष गंगवार के इस्तीफा देने के बाद मौका मिला है क्योंकि गंगवार भी कुर्मी समाज के हैं।
ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में यादव समाज के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग में कुर्मी बिरादरी की मजबूत भागीदारी है। कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के दौरान देश में इसके मामले बढ़ने के दौरान संतोष गंगवार ने एक बार राज्य सरकार के महामारी प्रबंधन को लेकर सवाल भी उठाए थे।
महाराजगंज से छह बार के सांसद पंकज चौधरी जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर क्षेत्र से हैं और गोरखपुर के डिप्टी मेयर भी रह चुके हैं वहीं सहयोगी अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काशी क्षेत्र से जुड़ी हैं।
राजनीतिक समीक्षकों की दलील है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा इकाई के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी कुर्मी समाज से ही आते हैं और चूंकि उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने भी अपनी राज्य इकाई की कमान कुर्मी समाज के नरेश उत्तम पटेल के ही हाथों में सौंपी है, इसलिए यह बिरादरी भाजपा और सपा की विशेष प्राथमिकता में आ गई है।
हाल के दिनों में दूसरे दलों के कई कुर्मी नेताओं ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली है जबकि दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी ने विधान मंडल दल के नेता लालजी वर्मा और सुषमा पटेल जैसे कुर्मी समाज के कई नेताओं को दल से निष्कासित कर दिया तो विशेष रूप से इस वर्ग पर भाजपा और सपा की नजरें टिकी हुई हैं। हाल में कुर्मी समाज से ही आने वाली बहराइच जिले की भाजपा विधायक माधुरी वर्मा के पति पूर्व विधायक दिलीप वर्मा भी भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए।
उत्तर प्रदेश की पिछड़ी जातियों में लोधी समाज का भी प्रभाव कम नहीं है। लोधी समाज से आने वाले उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह इन दिनों अस्वस्थ हैं। हालांकि राज्य सरकार में उनके पौत्र संदीप सिंह मंत्री हैं जबकि पुत्र राजवीर सिंह एटा के सांसद हैं। भाजपा ने संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके राज्यसभा सदस्य बीएल वर्मा को मौका दिया है क्योंकि बीएल वर्मा भी लोधी समाज में अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते हैं।
पश्चिम क्षेत्र के भाजपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा कि भाजपा ने कल्याण सिंह के विकल्प के तौर पर बीएल वर्मा को हमेशा बढ़ावा दिया और मंत्रिपरिषद में भी उन्हें इसी इरादे से मौका दिया गया है। सांसद सत्यपाल सिंह बघेल इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित आगरा संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद चुने गए। इसके पहले वे 2017 में फिरोजाबाद की टूंडला सीट से विधानसभा के लिए चुने गए और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री भी रहे। बघेल इससे पहले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी में भी रह चुके हैं।
वामपंथी पृष्ठभूमि से शुरुआती राजनीति करने वाले पासी समाज के कौशल किशोर लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र से भाजपा से दूसरी बार सांसद हैं और पार्टी ने उन्हें दूसरी बार राज्य में अनुसूचित मोर्चा का अध्यक्ष भी बनाया है। राज्य में गैर जाटव दलितों में पासी समाज की अच्छी तादाद है। इसी तरह जालौन के भाजपा सांसद भानु प्रताप वर्मा अनुसूचित वर्ग के कोरी समाज से आते हैं। भानु प्रताप वर्मा कानपुर-बुंदेलखंड के प्रतिनिधित्व के तौर पर भी एक प्रमुख चेहरा हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दलित चेहरों में पासी, कोरी और धनगर को मौका देकर भाजपा ने गैर जाटवों को महत्व देने का संदेश दिया है। कांग्रेस से ब्राह्मण चेहरा जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद उन्हें मंत्रिपरिषद में लिए जाने की अटकलें थीं लेकिन तराई पट्टी के लखीमपुर खीरी क्षेत्र से भाजपा के दूसरी बार के सांसद अजय कुमार मिश्र टेनी के मंत्री बनाए जाने से एक दूसरा संदेश गया है।
अजय कुमार पार्टी के कैडर बेस कार्यकर्ता माने जाते हैं और भाजपा के ही एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी ने अपने कैडर बेस कार्यकर्ता को महत्व देकर ब्राह्मणों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को भी महत्व दिया है।(भाषा)