चीन माइंडगेम खेलने में माहिर है। वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) विवाद के साथ अपनी चालाकियों से बाज नहीं आ रहा है। खबरें हैं कि चीन ने बड़े पैमाने पर पर्वतारोहियों एवं मार्शल आर्ट के लड़ाकों को हाल में अपनी सेना में भर्ती किया है तथा ऐसे पांच डिवीजन बनाकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की तरफ भेजे हैं। हालांकि भारत ने भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी तैयारी कर रखी है।
नियंत्रण रेखा पर माउंटेन कार्प के एकीकृत बैटल ग्रुप (आईबीजी) की तैनाती की गई है। इस ग्रुप में शामिल जवान को ऊंचे पहाड़ी इलाकों में युद्ध करने में माहिर माना जाता है। इन ग्रुप्स को खासतौर पर ऊंचे पर्वतीय इलाकों में युद्ध के लिए कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है।
17वीं माउंटेन कार्प के जवानों को युद्धक समूहों के रूप में चीन से निपटने के लिए खासतौर पर तैयार किया गया है। ये समूह चीन की हर चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं। 15 जून की रात ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच गलवान घाटी में खूनी मुठभेड़ हुई थी। इसके बाद से दोनों देशों में लगातार तनाव बना हुआ है। हालांकि चीन भारत से बातचीत में नरम रवैया अपनाता है, लेकिन एलएसी पर वह चालाक चालें चलने से बाज नहीं आता है।
दुर्गम इलाकों में दी जाती है ट्रेनिंग : सूत्रों के अनुसार माउंटेन कार्प के कम से तीन बैटल ग्रुप अग्रिम मोर्चे पर तैनात हैं। इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में आईटीबीपी के जवान भी हैं जो पर्वतीय इलाकों में युद्ध का प्रशिक्षण पा चुके हैं। बैटल ग्रुप के जवानों को जरूरत पड़ने पर किसी भी स्थान पर एयरड्रॉप भी किया जा सकता है।
जवानों को इसका प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है तथा पूर्व में चीन सीमा पर कई स्थानों पर वे युद्धाभ्यास भी कर चुके हैं। खबरों के अनुसार थल सेना की तैयारियों को लगातार वायुसेना का बैकअप मिला हुआ है। यह बिना हथियार के लड़ने में भी माहिर माने जाते हैं। (प्रतीकात्मक चित्र)