नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों में से एक ने सिंघु बॉर्डर पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। इससे पहले भी केन्द्र के कानूनों के खिलाफ और भी किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
यह घटना उस समय की है, जब मंच से वक्ता किसानों को संबोधित कर रहे थे। जानकारी के मुताबिक उसी दौरान पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से आए 40 साल के किसान अमरिंदर सिंह ने मंच के पीछे ही सल्फास खा ली। वे चिल्लाते हुए मंच के सामने आए और बोलते-बोलते वहीं बेहोश होकर गिर गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक किसान के मुंह से झाग निकल रहे थे। उन्हें नजदीक के ही फ्रैंक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी उपचार के दौरान मौत हो गई। घटनास्थल से किसान का कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। इस घटना से गुस्साए किसानों ने केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
सोनीपत के कुंडली पुलिस थाने में निरीक्षक रवि कुमार ने बताया कि किसान अमरिंदर पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले का निवासी था। उसे सोनीपत के स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
इससे पहले 2 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तराखंड के एक किसान कश्मीर सिंह ने शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। एक संत ने भी किसानों के समर्थन धरनास्थल पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों, खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक महीने से भी अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं।