नजरिया :NEET-JEE परीक्षा के विरोध का नहीं,होनहार छात्रों के मनोबल बढ़ाने का समय
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कृष्णमोहन झा का नजरिया
इंजीनियरिंग और मेडिकल संस्थानों में प्रवेश के लिए सितम्बर में होने वाली जेईई (ज्वाइंट एंट्रेंस् एक्जामिनेशन) और नीट (नेशनल इलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस् टेस्ट)परीक्षाओं के अभ्यर्थी छात्रों को इस समय कोरोना संकट ने दुविधा में डाल रखा है। छात्रों का एक वर्ग यह चाहता है कि देश में इस कोरोना संक्रमण ने जो विकराल रूप ले लिया है उसे देखते हुए इन परीक्षाओं को दो तीन माह के लिए स्थगित कर दिया जाए लेकिन ऐसे छात्रों की संख्या भी कम नहीं है जो कोरोना से अधिक तरजीह अपने कैरियर को दे रहे हैं।
परीक्षाओं की तिथियां आगे बढ़ाने की मांग देश के उन राज्यों में रहने वाले छात्र भी कर रहे हैं जहां बाढ़ की विभीषिका ने लोगों के सामने जीवन मरण का प्रश्न उपस्थित कर दिया है। इन प्रदेशों के छात्रों का कहना है कि बाढ के कारण यातायात के साधनों की अनुपलब्धता उनके लिए सबसे समस्या है और वे चाहकर भी उक्त परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकते इसलिए जेईई और नीट को फिलहाल स्थगित रखा जाना चाहिए।
उधर केंद्र सरकार का कहना है कि इन परीक्षाओं को कोरोना संकट के कारण पहले भी स्थगित किया जा चुका है इसलिए अब उन्हें स्थगित करना उचित नहीं होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का कहना है अभिभावक और छात्र भी यही चाहते हैं अब इन प्रतियोगी परीक्षाओं की तारीख़ें आगे न बढाई जाए क्योंकि अगर एक बार फिर इन परीक्षाओं की तारीख़ों को आगे बढ़ाया जाता है तो इससे छात्रों का एक वर्ष खराब हो जाएगा।
निशंक कहते हैं कि.छात्रों ने जितनी बढ़ी संख्या में एडमिट कार्ड डाउनलोड किए हैं उससे यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है कि लगभग सभी छात्र अगले माह आयोजित परीक्षाओं में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं। छात्रों का हित इसी में है कि परीक्षाओं की नई घोषित तिथियों में अब कोई परिवर्तन न किया जावे |छात्रों की लगभग सभी छात्रों को उनकी इच्छानुसार निकटतम परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देने की सुविधा प्रदान की जा रही है और जहां तक कोरोना संक्रमण के खतरे का प्रश्न है, सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को, जो कि इन परीक्षाओं का संचालन करती है,परीक्षा केंद्रों पर सभी ऐहतियाती प्रबंध करने के निर्देश दिये हैं।
उक्त परीक्षाओं के लिए एजेंसी द्वारा जारी नई गाइड लाइन के अनुसार प्रत्येक छात्र को परीक्षा केंद्र पर तीन मास्क दिए जाएंगे। परीक्षा केंद्र में प्रवेश के पूर्व सभी छात्रों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी एवं उन्हीं परीक्षार्थियों केंद्र में प्रवेश की अनुमति प्रदान की जाएगी जिनके शरीर का तापमान 99.4डिग्री फेरनहाइट से कम होगा। परीक्षा केंद्र के अंदर सभी छात्रों को 2 फीट की दूरी रखना होगी। हर परीक्षार्थी को यह स्वघोषणा पत्र देना होगा कि वह कोरोना पाजिटिव नहीं है और न ही किसी कोरोना पाजिटिव के संपर्क में आया है। परीक्षा की हर शिफ्ट के पहले और बाद में परीक्षा केंद्र और कक्ष को सेनिटाइज किया जाएगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की इस घोषणा के बाद कि, जेईई और नीट की तिथियों में अब कोई परिवर्तन नहीं होगा, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है और आज सुप्रीमकोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर भी हो गई है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट 17 अगस्त को ही नीट और जेईई की तिथियां सितंबर से आगे न बढ़ाने के पक्ष में फैसला दे चुका है और उसने भी छात्रों के कैरियर को महत्वपूर्ण मानते हुए अपना फैसला दिया है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार को भी बल मिला है और उसी के बाद केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने उक्त परीक्षाओं के पुन: स्थगन की मांग को सिरे से खारिज किया है। जाहिर सी बात है कि उक्त परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग पर सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एकजुटता से छात्रों का कोई भला भले न हो परंतु इन राज्यों में सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों को एकजुट होने का एक बहाना मिल गया है |
यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि जिन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने जेईई और नीट के स्थगन की मांग की है वे सभी गैर भाजपा शासित राज्य हैं। इनमें तमिलनाडु अवश्य एक ऐसा राज्य है जहाँ सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक भाजपा का सहयोगी दल है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल पर आयोजित गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की इस बैठक में दिल्ली और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा नहीं लिया यद्यपि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी जेईई और नीट की तिथियां बढ़ाने के पक्ष में अपनी राय दे चुके हैं।
सोनिया गांधी द्वारा आमंत्रित इस बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने उक्त परीक्षाएं स्थगित कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का सुझाव दिया था जबकि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का मत था कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने के पूर्व राष्ट्रपति से मुलाकात करना उचित होगा परंतु अब प. बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ झारखंड की सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर उक्त परीक्षाओं की तिथियां बढ़ाने का अनुरोध किया है |
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नीट और जेईई परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग से खुद को अलग रखा है। अखिलेश यादव का कहना है कि सरकार को परीक्षार्थियों की कोरोना से सुरक्षा और उनके निवास स्थान से परीक्षा केंद्र तक पहुंचने व रहने खाने की पर्याप्त व्यवस्था करना चाहिए। अखिलेश यादव यदि ऐसी कोई मांग न भी करते तब भी यह सोचना पूरी तरह गलत होता कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को परीक्षा केंद्रों में छात्रों को कोरोना से संपूर्ण सुरक्षा तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी का अहसास नहीं है। चूंकि परीक्षाओं में अब ज्यादा समय शेष नहीं रह गया है इसलिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तैयारियां अब अंतिम चरण में पहुँच चुकी हैं। चूंकि इस बार परीक्षार्थियों के बीच 6 फुट की दूरी भी सुनिश्चित करना है इसलिए दोनों परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या भी बढ़ा दी गई है।
जब नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा परीक्षार्थियों की कोरोना से सुरक्षा हेतु सारे आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित कर दिए गए हैं तब कुछ राज्य सरकारों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा तिथियां बढाने के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करने का कोई औचित्य समझ से परे है। दरअसल जब परीक्षार्थियों का ध्यान अपनी तैयारी पर केंद्रित है तब इस तरह की याचिका से उनका ध्यान भंग होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। दरअसल यह समय नीट और जेईई परीक्षाओं की तैयारी में जुटे महत्वाकांक्षी होनहार छात्रों का मनोबल बढ़ाने का है | कोरोना का डर दिखाने से छात्रों का कोई भला नहीं होगा। बेहतर होगा कि इस समय हम परीक्षार्थियों को शानदार सफलता के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित करें।