Opposition called the suspension a dictatorship : विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A.) के घटक दलों ने लोकसभा से 33 तथा राज्यसभा से 45 विपक्षी सदस्यों के निलंबन को तानाशाही भरा कदम करार देते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को रौंदने के लिए संसद में बुलडोजर चला रही है।
लोकसभा में आसन की अवमानना के आरोप में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी समेत कुल 33 सदस्यों को सोमवार को सदन से निलंबित कर दिया गया। इनमें से 30 सदस्यों को मौजूदा शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए और तीन सदस्यों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया है।
राज्यसभा ने सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्षी दलों के 34 सदस्यों को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए तथा 11 सदस्यों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित कर दिया।
कुछ दिन पहले ही लोकसभा के 13 सदस्यों और राज्यसभा के एक सदस्य का निलंबन हुआ था।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट किया, सबसे पहले कुछ लोगों ने संसद पर हमला किया। फिर (नरेन्द्र) मोदी सरकार संसद और लोकतंत्र पर हमला कर रही है। निरंकुश मोदी सरकार द्वारा 47 सांसदों को निलंबित करके सभी लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़ेदान में डाला जा रहा है।
उन्होंने दावा किया, विपक्ष विहीन संसद के साथ मोदी सरकार अब बिना किसी चर्चा के महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को पारित कर सकती है, विरोध की आवाज कुचल सकती है। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी सांसदों के निलंबन पर कहा कि इससे पता चलता है कि भाजपा डरी हुई है।
उन्होंने कहा, क्या आपको लगता है कि दो राज्य जीतने की वजह से वे (भाजपा) इतने अहंकारी हो गए हैं, वे डरे हुए हैं, इसलिए उन्होंने सांसदों को निलंबित कर दिया। निलंबन के बाद अधीर रंजन चौधरी ने संसद परिसर में दावा किया कि इस सरकार में तानाशाही चरमसीमा पर पहुंच गई है।
उन्होंने कहा, हम लोग चर्चा करना चाहते थे, लेकिन सरकार को लगता है कि बहुमत के बाहुबल का डंडा घुमाकर सबको ठंडा कर देंगे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, 13 दिसंबर को हुई खतरनाक सुरक्षा चूक पर गृहमंत्री से बयान देने की मांग करने की वजह से 14 दिसंबर को इंडिया के 13 सांसदों को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया था।
आज इंडिया के 33 और सांसदों को पूरी तरह से वैध मांग करने के लिए लोकसभा से निलंबित कर दिया गया। इनमें कई दलों के सदन के नेता भी हैं। उन्होंने आरोप लगाया, तानाशाही का दूसरा नाम मोदीशाही है। यह सिर्फ सांसदों का नहीं लोकतंत्र का निलंबन है।
लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता और निलंबित सदस्यों में शामिल गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को रौंदने के लिए संसद में बुलडोजर चला रही है। उन्होंने कहा, यह देश के लोगों के मौलिक अधिकारों को रौंदने की प्रक्रिया है। यह साफ-साफ जाहिर करता है कि सरकार की मंशा सदन चलाने की नहीं है, सिर्फ गृहमंत्री की विफलता को छिपाने की है।
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि संसद अब चर्चा की नहीं, बल्कि निलंबन की जगह बन गई है। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, यह तानाशाही का कदम है। हम तानाशाही के खिलाफ लड़ेंगे।
निलंबित सांसद और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता कौशलेंद्र कुमार ने कहा, लोकसभा अध्यक्ष, सरकार और भाजपा का प्रयास है कि विपक्ष के ज्यादा से ज्यादा लोगों को निलंबित करके विधेयक पारित कर लें। मुझे लगता है कि एकपक्षीय कदम उठाया जा रहा है।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने कहा कि लोकतंत्र के इस काले दौर में निलंबन सम्मान की बात है।
उन्होंने कहा, जो सरकार संसद भवन में सुरक्षा चूक के मामले पर नहीं बोल पा रही है, वह गलवान पर क्या बोलेगी? जो सांसद बचे हुए हैं, उन्हें भी निलंबित कर दीजिए, विपक्ष मुक्त संसद मुबारक हो, मोदी जी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour नई दिल्ली