नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ व्यापक विपक्षी एकजुटता के प्रयासों के बीच विपक्षी दलों में व्यापक रूप से इसकी सहमति बन गई है कि वे 'विवादास्पद मुद्दों' को अलग रखेंगे और 2024 का लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे।
विपक्ष के एक प्रमुख नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह जानकारी दी है। पिछले कुछ दिनों के भीतर विपक्षी नेताओं की कई मुलाकातें हुई हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से चर्चा की तथा विपक्ष के दलों को एक मंच पर लाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को खरगे, राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। इन बैठकों में यह तय किया गया कि अधिक से अधिक विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के साथ-साथ देश के लिए 'विपक्ष का दृष्टिकोण' सामने रखा जाएगा।
विपक्ष के वरिष्ठ नेता ने बताया कि इन मुलाकातों में प्रमुख विपक्षी नेताओं में व्यापक रूप से इसकी सहमति बन गई है कि उन मुद्दों के साथ जनता के बीच जाया जाएगा, जिन पर सहमति है।
उन्होंने कहा कि अभी विपक्षी खेमे के साथ खड़े नहीं आ रहे विपक्ष के दलों से संपर्क साधने के लिए पवार, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी और समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव जैसे नेताओं को लेकर एक समिति बनाने के प्रस्ताव पर भी चर्चा की गई।
तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति ने अभी यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा है कि वे अगला लोकसभा चुनाव कांग्रेस एवं समान विचार वाले दूसरे दलों के साथ मिलकर लड़ेगी। खरगे की अगुवाई वाली बैठकों में विपक्षी गठबंधन के लिए एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम के सुझाव के संदर्भ में भी चर्चा हुई।
राहुल गांधी ने अतीत में कई मौकों पर विनायक दामोदर सावरकर की आलोचना की है, जिससे कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच मनमुटाव पैदा हुआ। उद्धव ठाकरे की पार्टी का कहना है कि सावरकर का अपमान करने से कांग्रेस को कोई मदद नहीं मिलेगी। विपक्षी दलों के बीच अडाणी समूह से जुड़े मामले को लेकर भी मतभेद दिखाई देते हैं। फोटो सौजन्य : टि्वटर
Edited By : Chetan Gour (भाषा)