दूसरों को 20 मिनट, मुझे 7 मिनट भी नहीं, ममता ने कहा- नहीं करने दूंगी बंगाल का अपमान
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक का बीच में ही बहिष्कार किया
West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee News: कोलकाता पहुंचने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि नीति आयोग की बैठक में मुझे बोलने नहीं दिया गया, यह अपमानजनक है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र कुछ राज्यों को अधिक धनराशि आवंटित करता है, तो मुझे कोई समस्या नहीं है, लेकिन वह बंगाल के साथ भेदभाव नहीं कर सकता है। दूसरी ओर, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ममता झूठ फैला रही हैं।
विपक्ष से सिर्फ मैं थी : ममता बनर्जी ने कहा कि विपक्ष शासित राज्यों से बैठक में मैं अकेली थी, जो वहां गई थी। उन्हें मुझे 30 मिनट देने चाहिए थे। बैठक की शुरुआत में राजनाथ सिंह ने कहा कि सभी को 5-7 मिनट में अपने विचार प्रस्तुत करने चाहिए, लेकिन मुझे बोलने के लिए 7 मिनट भी नहीं दिए गए। उनके लोगों को 20 मिनट दिए गए, उन्हें विशेष पैकेज और विशेषाधिकार मिले। मैंने बैठक का बहिष्कार करके सही काम किया। मैं उन्हें बंगाल का अपमान नहीं करने दूंगी। मैं अन्य राज्यों में सरकार चला रहे विपक्षी दलों के साथ मजबूती से खड़ी हूं।
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ममता झूठ बोलती हैं : ममता बनर्जी के आरोपों पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि नीति आयोग की बैठक के बारे में ममता बनर्जी जो बातें कह रही हैं, मुझे लगता है कि वह झूठ बोल रही हैं। यह बहुत आश्चर्यजनक है कि किसी राज्य के सीएम को बोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ममता बनर्जी जानती थीं कि वहां क्या होने वाला है...उनके पास स्क्रिप्ट थी।
इससे पहले ममता बनर्जी शनिवार ने राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की बैठक छोड़कर बाहर निकल आईं। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की एकमात्र प्रतिनिधि होने के बावजूद उन्हें भाषण के दौरान बीच में ही रोक दिया गया। हालांकि, सरकार ने उनके आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ममता को बोलने के लिए दिया गया समय समाप्त हो गया था।
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माइक्रोफोन बंद कर दिया : ममता ने कहा कि 5 मिनट के बाद उनका माइक्रोफोन बंद कर दिया गया, जबकि अन्य मुख्यमंत्रियों को अधिक देर तक बोलने की अनुमति दी गई। टीएमसी प्रमुख ने कहा कि यह अपमानजनक है। मैं आगे से किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लूंगी। उन्होंने कहा- चंद्रबाबू नायडू को बोलने के लिए 20 मिनट दिए गए। असम, गोवा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने 10 से 12 मिनट तक अपनी बात रखी। मुझे 5 मिनट बाद ही बोलने से रोक दिया गया। यह अनुचित है।
ममता ने कहा कि विपक्ष की तरफ से मैं यहां अकेली नेता हूं। मैंने बैठक में इसलिए हिस्सा लिया, क्योंकि सहकारी संघवाद को मजबूत किया जाना चाहिए। हालांकि, पीआईबी फैक्टचेक ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि यह कहना भ्रामक है कि बनर्जी का माइक्रोफोन बंद कर दिया गया। घड़ी के अनुसार उनका बोलने का समय समाप्त हो गया था।
7वीं वक्ता थीं ममता : सूत्रों ने बताया कि वर्णानुक्रम के अनुसार, ममता की बोलने की बारी दोपहर के भोजन के बाद आती, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें सातवें वक्ता के रूप में बोलने की अनुमति दी गई, क्योंकि उन्हें जल्दी कोलकाता लौटना था। ममता ने कहा कि केन्द्र सरकार राजनीतिक रूप से पक्षपाती है। वे विभिन्न राज्यों पर उचित ध्यान नहीं दे रहे हैं। यहां तक कि बजट भी राजनीतिक रूप से पक्षपाती बजट है।
टीएमसी सुप्रीमो ने कहा कि मुझे कुछ राज्यों पर विशेष ध्यान देने से कोई समस्या नहीं है। मैंने पूछा कि वे अन्य राज्यों के साथ भेदभाव क्यों कर रहे हैं। इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। मैं सभी राज्यों की ओर से बोल रही हूं। मैंने कहा कि हम वे हैं जो काम करते हैं, जबकि वे केवल निर्देश देते हैं। उन्होंने कहा कि योजना आयोग राज्यों के लिए योजना बनाता था। नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं। यह कैसे काम करेगा? इसे वित्तीय शक्तियां दी जाएं या योजना आयोग को वापस लाया जाए।
इन मुख्यमंत्रियों ने बनाई बैठक से दूरी : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन (द्रमुक), केरल के मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता पिनराई विजयन, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (आम आदमी पार्टी), कांग्रेस शासित राज्यों कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी तथा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (झारखंड मुक्ति मोर्चा) बैठक में शामिल नहीं हुए। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala