नई दिल्ली। प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित किए जाने का असर दिखने लगा है। अब तक 3,000 से अधिक वाहन रजिस्टर्ड हो चुके हैं। सरकार की नई नीति के बाद सब्सिडी को भी और सुलभ बनाया गया ताकि नए वाहनों की खरीदारी करने वालों को समय पर वित्तीय लाभ मिल सके। रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क में भी सरकार की ओर से राहत दी गई ताकि कम से कम खर्च में लोगों को बेहतर परिवहन साधन के इस्तेमाल का मौका मिल सके।
ई वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से स्क्रैप इंसेटिव, नए चार्जिंग स्टेशन सहित इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अन्य बुनियादी सुविधाएं भी तैयार की जा रही हैं। इस तरह से दिल्ली देश का पहला राज्य बन गया है, जहां सरकार की इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति आने के बाद कुछ ही हफ्तों में लोगों ने 3,000 इलेक्ट्रिकल व्हीकल खरीदे। दिल्ली पहला राज्य होगा, जहां इतनी तेजी से पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की जगह अब इलेक्ट्रिक गाड़ियां ले रही हैं। इससे दिल्लीवालों और कंपनियों को हर तरह से फायदा हो रहा है।
अगर पर्यावरण की बात करें तो दिल्ली में सरकार के प्रदूषण को हराने के प्रयासों को इससे बहुत मदद मिलेगी। दिल्ली की सड़कों पर डीजल-पेट्रोल की गाड़ियों की जगह इलेक्ट्रिक गाड़ियां आने से प्रदूषण काफी हद तक कम हो जाएगा। इससे दिल्ली देश का पहला राज्य होगा, जहां सड़कों पर इतनी इलेक्ट्रिक गाड़ियां तो दौड़ेंगी ही, साथ ही प्रदूषण को खत्म करने के साथ-साथ दिल्ली एक फ्यूचरिस्टिक शहर बनता जाएगा।
वहीं इस नीति से लोगों को होने वाले फायदों की बात करें तो लोगों को एक तरफ जहां इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने पर भारी सब्सिडी और विभिन्न टैक्सेज से छुटकारा मिल रहा है, वहीं रोजमर्रा के खर्चों में भी भारी कमी आएगी। एक इलेक्ट्रिक गाडी पेट्रोल-डीजल पर चलने वाली गाड़ी के मुकाबले 40% कम खर्चे पर चलती है। इससे जनता की हर तरफ बचत हो रही है। कंपनियां भी नई टेक्नोलॉजी से बनने वाली इन गाड़ियों का जब बड़े स्तर पर उत्पादन करेंगी तो उनका भी फायदा ही होगा।
जहां देश के दुसरे राज्य, जैसे कर्नाटक और महाराष्ट्र की इलेक्ट्रिक व्हीकल नीतियां बस सरकारी कागजों की शोभा बढ़ा रही है और जनता को किसी तरह का लाभ नहीं पहुंचा रही हैं, वहीं दिल्ली सरकार की इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी दिल्ली को कल का फ्यूचरिस्टिक शहर बना रही है। (भाषा)