नई दिल्ली। सरकार ने लोकसभा में सोमवार को बताया कि नोटबंदी के बाद देश में राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा जारी भारतीय मुद्रा की जब्ती के कुल 35 मामले आए हैं। इनमें आठ करोड़ 41 लाख 49 हजार 300 रुपए के जाली नोट पकड़े गए हैं। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने 5.74 करोड़ रुपए के जाली बैंक नोट जब्त किए।
सरकार ने आठ नवंबर 2016 में नोटबंदी की घोषणा की थी जिसमें 500 और 1000 रुपए के अंकित मूल्य वाले पुराने नोट प्रचलन से हटा लिए गए गए थे। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि वर्ष 2017 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जाली भारतीय करेंसी नोट के दो मामलों में चार करोड़ 53 लाख 48 हजार रुपए मूल्य की नकली करेंसी पकड़ी।
वर्ष 2018 में 10 मामलों में 45 लाख 39 हजार रुपए के नकली करेंसी नोट पकड़े पकड़े गए थे। 2019 में कुल 14 मामलों में दो करोड़ 74 लाख 67 हजार आठ सौ रुपए की नकली करेंसी पकड़ी गई। 2020 में कुल 61 लाख 94 हजार 500 रुपए के नकली नोट के 8 मामले सामने आए, जबकि 2021 में एक मामले में एनआईए ने 46 लाख रुपए की नकली करेंसी पकड़ी है।
उन्होंने बताया कि इन 35 मामलों में कुल 135 लोग गिरफ्तार किए गए हैं और उन पर आरोप पत्र पेश कर दिए गए हैं। इनमें से 38 को दोषी करार दिया जा चुका है बाकी 97 की जांच चल रही है। चौधरी ने बताया कि जाली मुद्रा के प्रचलन के खतरे को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक भारत सरकार से परामर्श करके बैंक नोट में सुरक्षा की नई-नई युक्तियां/और नए डिजाइनों को लाने की प्रक्रिया करता है।
आरबीआई जाली नोट के प्रचलन से बचाव के लिए बैंकों को विभिन्न निर्देश भी देता रहता है। बैंक कर्मियों को जाली नोट की पहचान के लिए प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक अप्रैल 2021 को जाली नोटों की पहचान के लिए जारी प्रणालियों और प्रक्रियाओं के व्यापक प्रसार के लिए एक नया वृहद प्रपत्र भी सार्वजनिक रूप से जारी किया है।
उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग के अधीन आने वाले प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 के अंतर्गत तीन मामले पंजीकृत किए हैं, जिनमें 5.74 करोड़ रुपए के जाली बैंक नोट पकड़े गए हैं।(वार्ता)