नई दिल्ली। कांग्रेस के नेता पी. चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि जम्मू कश्मीर के विपक्षी दलों के एक शिष्टमंडल और प्रधानमंत्री के बीच हुई बैठक यदि नई सोच का पहला संकेत है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए। चिदंबरम ने एक सर्वदलीय शिष्टमंडल घाटी में भेजने की भी वकालत की।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा, सोमवार को प्रधानमंत्री और जम्मू कश्मीर के विपक्षी दलों के बीच हुई बैठक यदि यह नए सिरे से सोचने का पहला संकेत है तो हमें इसका स्वागत करना चाहिए।
उन्होंने लिखा, अगला कदम एक सर्वदलीय शिष्टमंडल को जम्मू कश्मीर भेजने का होना चाहिए। कश्मीर घाटी की तनावपूर्ण स्थिति का एक स्थाई हल ढूंढने के लिए प्रधानमंत्री ने वार्ता का आह्वान किया था। कांग्रेस ने कल ही उनके इस आह्वान को हड़बड़ी में उठाया गया कदम बताकर खारिज किया था। कश्मीर घाटी में पिछले 45 दिन से तनाव है।
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा था, ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री के बोल बदलते रहते हैं। उन्होंने सर्वदलीय बैठक में क्या कहा, स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में क्या कहा..और आज वे वार्ता की बात कर रहे हैं। लेकिन वार्ता किसके साथ हो? ऐसा संदेह है कि ये सिर्फ शब्द हैं..प्रधानमंत्री के लिए महज भाषणबाजी। दुर्भाग्य से वे बिना सोचे-विचारे कदम उठा रहे हैं और हवा में तीर चला रहे हैं। मोदी ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में आए विपक्षी दलों के एक संयुक्त शिष्टमंडल के साथ 75 मिनट तक बैठक की थी।
प्रधानमंत्री ने संविधान के दायरे में रहते हुए एक स्थाई और चिरकालिक हल ढूंढने के लिए वार्ता पर जोर दिया। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से यह भी कहा कि वे जम्मू कश्मीर में समस्याओं का हल ढूंढने के लिए मिलजुलकर काम करें। (भाषा)