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जम्मू। हालांकि पुलिस और बीएसएफ के बीच अभी इस पर विवाद है कि जम्मू फ्रंटियर के पिंडी चाढ़का के तारबंदी से सटे खेतों में मिलने वाली सुरंग पाकिस्तान की ओर से खोदी गई है या फिर यह कोई बोरवेल है, पर इतना जरूर है कि इस सुरंग ने सबके होश उड़ा दिए हैं।
यही नहीं, अगर पुलिस की बात को भी मान लिया जाए तो सवाल यह उठ रहा था कि तारबंदी के पास किसने बोरवेल की खुदाई किसकी इजाजत से की है। इतना ही नहीं एक और सुरंग के मिलने के बाद यह सवाल भी उठ खड़ा हो रहा है कि जम्मू सीमा को पाकी सुरंगों से मुक्ति कब मिलेगी।
अरनियां सब सेक्टर में जीरो लाइन के बिल्कुल नजदीक मिली सुरंग ने सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ा दिए हैं। इस सुरंग को पाकिस्तान की ओर खोदे जाने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस भले ही इसे पुख्ता तौर पर सुरंग मानने के बजाय बोरवेल भी हो सकता है, कह रही हो, लेकिन जिस तरह से आला अधिकारियों में हलचल रही, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि मामला बेहद गंभीर है। स्थिति को स्पष्ट करने के लिए आसपास की जमीन की जेसीबी से खोदाई की जाएगी।
जम्मू के अरनिया सेक्टर स्थित पिंडी चाढ़का के खेते में जीरो लाइन के साथ सटी जमीन के पास सुरंग मिलने की सूचना से हड़कंप मच गया। उक्त स्थान पर किसान धान की कटाई कर रहे थे। किसानों ने सुरंग मिलने की जानकारी सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों को दी।
बुधवार पिंडी चाढ़का स्थित खेत में किसान काम कर रहे थे। इस दौरान किसानों को एक स्थान पर मिट्टी धंसी दिखी। उन्होंने बीएसएफ को सूचना दी कि सीमा क्षेत्र में सुरंग निकली है। जवानों ने उक्त स्थान पर तलाशी अभियान चलाया।
सीमा सुरक्षा बल व पुलिस के अधिकारियों के मौके पर पहुंचने पर निरीक्षण किया गया। सरपंच नीलम सिंह का कहना है कि थाना प्रभारी ने उन्हें सीमा सुरक्षा बल की पोस्ट पर बुलाया था, लेकिन उन्हें उस स्थान पर नहीं ले जाया गया जहां सुरंग मिलने की बात की गई।
उन्होंने कहा कि उस स्थान का निरीक्षण करने पर ही इसका पता चलेगा कि वहां सुरंग है या पंप सेट लगाने पर जमीन धंसी है। इस दौरान क्षेत्र में दिनभर सर्च अभियान चलाया गया, जिसे फिलहाल जारी रखा गया है। हालांकि आईजी मुकेश सिंह ने बताया कि मौके का मुआयना किया गया है। वहां सुरंग मिलने जैसी कोई बात नहीं है। पानी लगाने से मिट्टी धंसी है। फिर भी इस बारे में आसपास के क्षेत्र की जांच की जा रही है।
इतना जरूर था कि इंटरनेशनल बॉर्डर पर 2012 से अब तक 8 सुरंगों का पता लगाया जा चुका है। वर्ष 2012 और 2014 में अखनूर सेक्टर में दो सुरंगों का पता लगाया गया था। इसके अलावा, 2013 में सांबा सेक्टर में एक सुरंग मिली थी। वर्ष 2016 में दो और 2017 में भी दो सुरंगें मिली थीं।
जानकारी के लिए वर्ष 2016 में ही मार्च में भी बीएसएफ ने आरएसपुरा सेक्टर में एक सुरंग का पता लगाकर पाकिस्तान की साजिश को नाकाम कर दिया था। अखनूर सेक्टर में भी यही हुआ था। आरएस पुरा सेक्टर में मिली सुरंग 22 फीट लंबी थी। इसे बनाने के लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद बीएसएफ ने कहा था कि बिना पाकिस्तानी रेंजर्स की मदद के इस तरह की टनल बनाना नामुमकिन है। बीएसएफ ने तब पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ मीटिंग में इस हरकत को लेकर विरोध दर्ज कराया था।
वर्ष 2016 के दिसंबर महीने में भी बीएसएफ को जम्मू के चमलियाल में 80 मीटर लंबी और 2 गुणा 2 फुट की एक सुरंग मिली थी। तब बीएसएफ ने कहा था कि सांबा सेक्टर में मारे गए तीन आतंकियों ने इसी का इस्तेमाल किया था। फरवरी 2017 में भी रामगढ़ सेक्टर में एक सुरंग का पता लगाया गया था। उसका एक सिरा भारत और दूसरा पाकिस्तान में था। अक्टूबर 2017 में अरनिया सेक्टर में भी एक सुरंग मिली थी। सुरंगें मिलने वाले स्थान से जम्मू-पठानकोट राजमार्ग करीब 10 किमी की दूरी पर है और रेल लाइन 3 से 4 किमी की दूरी पर है।