भारतीय थलसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तानी थलसेना लश्कर-ए-तैयबा की 'कश्मीर का साल' मुहिम को अपने समर्थन के तहत जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार से ज्यादा गोलाबारी कर रही है।
जुलाई महीने में संघर्षविराम की घटनाएं ज्यादा दर्ज की गई हैं, जिनमें नौ सैनिकों सहित 11 लोग मारे गए हैं जबकि 16 अन्य जख्मी हुए हैं। इसके अलावा, राज्य के सीमाई इलाकों से हजारों लोगों को अपना घरबार छोड़ना पड़ा है।
पाकिस्तान स्थित जमात-उद-दावा ने 2017 को 'कश्मीर का साल' घोषित किया था। जमात-उद-दावा पहले लश्कर-ए-तैयबा के नाम से जाना जाता था और उसने अब अपना नाम तहरीक आजादी जम्मू-कश्मीर (तज्क) कर लिया है।
इस मुहिम का मकसद नियंत्रण रेखा को ‘ज्यादा सक्रिय दिखाना है ताकि कश्मीर के मुद्दे को उजागर किया जा सके।' सुरक्षा एजेंसियों ने नियंत्रण रेखा पार से गोलाबारी की घटनाओं में बढ़ोत्तरी के लिए जमात-उद-दावा की मुहिम के प्रति पाकिस्तानी थलसेना के समर्थन को जिम्मेदार ठहराया।
हालिया समय में सबसे ज्यादा गोलाबारी में इस महीने पाकिस्तान सेना के हमले में राजौरी जिले में ही नियंत्रण रेखा के करीब 110 से ज्यादा मवेशी मारे गए और दो दर्जन घरों से ज्यादा सहित करीब 35 ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए। पाकिस्तान की ओर से लगातार गोलाबारी की वजह से सीमावर्ती इलाकों के 4000 से ज्यादा लोगों को जिले में सुरक्षित स्थानों पर पनाह लेनी पड़ी।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'राज्य में नियंत्रण रेखा के करीब इस महीने सबसे ज्यादा संघर्षविराम का उल्लंघन हुआ। इसका मकसद जम्मू कश्मीर में ज्यादा से ज्यादा आतंकियों की घुसपैठ कराना था।' साथ ही कहा कि भारतीय बलों ने पाकिस्तानी गोलाबारी का करारा जवाब दिया। (भाषा)