राम रहीम को बलात्कार का दोषी होने के फैसले के बाद डेरा समर्थकों ने जिस तरह बेखौफ होकर हिंसा फैलाई उससे हरियाणा पुलिस की छवि बहुत खराब हुई है। जिस पुलिस के हाथों सुरक्षा का जिम्मा था, उसी ने सुरक्षा में कोताही बरती, लेकिन इन सबसे बीच एक महिला अधिकारी अकेले अपने दम पर आक्रोशित भीड़ को शांत करने करने का प्रयत्न करती रहीं
आगजनी और तोड़फोड़ में जुटे डेरा समर्थकों के सामने डिप्टी कमिश्नर गौरी पराशर जोशी अकेली रह गई थीं। हाथों में पत्थर और डंडे लेकर डेरा समर्थक दौड़े तो पुलिसकर्मी मौके से भाग निकले, लेकिन 2009 बैच की आईएएस अधिकारी आक्रोशित भीड़ को शांत करने की कोशिश करती रहीं।
11 महीने के बच्चे की मां गौरी पराशर इस दौरान घायल हो गईं, यहां तक कि उनके कपड़े भी फट गए। एकमात्र पीएसओ के साथ वह किसी तरह ऑफिस तक पहुंचीं और हालात संभालने के लिए सेना को मोर्चा संभालने का आदेश जारी किया। इससे स्थिति को और अधिक बिगड़ने से रोका जा सका।
पंचकुला के स्थानीय व्यक्ति सतिंदर नांगिया ने कहा कि 'यदि सेना नहीं आई होती तो रिहायशी इलाकों में अभूतपूर्व तबाही का दृश्य होता। हम स्थानीय पुलिस को पिछले कई दिनों से चाय और बिस्किट दे रहे थे, लेकिन जब डेरा समर्थक बेकाबू हुए तो पुलिसकर्मी सबसे पहले भाग गए।' गौरी पराशर जोशी उस दिन तड़के 3 बजे घर पहुंचीं। घर जाने से पहले उन्होंने पूरी रात शहर के हर कोने में जाकर स्थिति का मुआयना लिया। ओडिशा कैडर की 2009 बैच की आईएएस अधिकारी ओडिशा के नक्सल प्रभावित जिले कालाहांडी में भी सेवा दे चुकी हैं और इस समय हरियाणा में डेप्युटेशन पर हैं। (एजेंसियां)