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12 रुपए से ज्‍यादा बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम, रिपोर्ट में जताया अनुमान

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, शुक्रवार, 4 मार्च 2022 (19:18 IST)
नई दिल्ली। खुदरा ईंधन विक्रेताओं को लागत वसूली के लिए पेट्रोल और डीजल के दाम 16 मार्च तक 12 रुपए प्रति लीटर से भी अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के कारण बीते 4 महीने से ईंधन के दाम नहीं बढ़े हैं। रिपोर्ट में कहा, अगले हफ्ते तक राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त हो जाएंगे। अनुमान है कि इसके बाद ईंधन की दरें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बृहस्पतिवार को 120 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गईं थी जो बीते नौ वर्षों में सर्वाधिक हैं। हालांकि शुक्रवार को दाम थोड़े घटकर 111 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए। इसके बावजूद तेल की लागत और खुदरा बिक्री दरों के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि बीते दो महीनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दाम बढ़ने से सरकारी स्वामित्व वाले खुदरा तेल विक्रेताओं को लागत वसूली के लिए 16 मार्च 2022 या उससे पहले ईंधन के दामों में 12.1 प्रति लीटर की वृद्धि करनी होगी। वहीं तेल कंपनियों के मार्जिन को भी जोड़ लें तो 15.1 रुपए प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि की आवश्यकता है।

पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के मुताबिक, भारत जो कच्चा तेल खरीदता है उसके दाम तीन मार्च को 117.39 डॉलर प्रति बैरल हो गए। ईंधन का यह मूल्य वर्ष 2012 के बाद सबसे ज्यादा है। पिछले साल नवंबर की शुरुआत में जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर रोक लगी थी, तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी।

ब्रोकरेज कंपनी जेपी मॉर्गन ने एक रिपोर्ट में कहा, अगले हफ्ते तक राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त हो जाएंगे। अनुमान है कि इसके बाद ईंधन की दरें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं। उत्तर प्रदेश में सातवें और अंतिम चरण का मतदान सात मार्च को होगा तथा उत्तर प्रदेश समेत सभी पांच राज्यों के लिए मतगणना 10 मार्च को होनी है।

रिपोर्ट के अनुसार, तीन मार्च, 2022 को वाहन ईंधन का शुद्ध विपणन मार्जिन शून्य से नीचे 4.92 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में अब तक यह 1.61 रुपए लीटर है। हालांकि ईंधन के मौजूदा अंतररराष्ट्रीय मूल्य पर 16 मार्च को शुद्ध मार्जिन घटकर शून्य से नीचे 10.1 रुपए प्रति लीटर और एक अप्रैल को शून्य से नीचे 12.6 रुपए लीटर तक जा सकता है।

घरेलू स्तर पर ईंधन की कीमतें तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों से सीधे प्रभावित होती हैं क्योंकि भारत अपनी तेल आवश्यकता का 85 फीसदी हिस्सा आयात करता है।(भाषा)

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