नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को एक याचिका दायर कर उस योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है जो सिर्फ प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के लाभार्थियों को हरेक एलजीपी सिलेंडर पर 200 रुपए का कैशबैक उपलब्ध कराती है और गरीबी रेखा से नीचे (bpl) रहने वाले अन्य परिवारों पर लागू नहीं होती है।
याचिका सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ के समक्ष आई, जिसने अर्जी को ऐसी ही याचिका के साथ आगे की सुनवाई के लिए 13 फरवरी को सूचीबद्ध कर दिया।
पीएमयूवाई 1 मई 2016 को शुरू किया गया था ताकि बीपीएल परिवारों को खाना पकाने के लिए गैस सिलेंडर उपलब्ध कराया जा सके और उन्हें इसके लिए गैस एजेंसी को पैसा न जमा कराने पड़े।
याचिका में मांग की गई है कि ऐसे बीपीएल परिवारों की पहचान की जाए जो उज्ज्वला योजना के तहत नहीं आते हैं।
याचिकाकर्ता ने उन्हें कैशबैक योजना का लाभ देने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की भी मांग की।
वकील और याचिकाकर्ता आकाश गोयल ने उज्ज्वला योजना के उस प्रावधान को चुनौती दी है जिसके तहत एक वित्तीय वर्ष में 12 सिलेंडर तक 200 रुपये प्रति एलपीजी सिलेंडर केवल योजना के लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किए जाते हैं, न कि सभी बीपीएल परिवारों को दिए जाते हैं।
सरकार ने मई 2022 में उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए प्रति वर्ष (12 सिलेंडर तक) हरेक गैस सिलेंडर पर 200 रुपये की सब्सिडी की घोषणा की थी ताकि उनके लिए गैस के दाम कम हो सकें।
याचिका में कैशबैक योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण सभी गरीब लोगों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। Edited by Sudhir Sharma भाषा