नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को 'अगस्त क्रांति' की याद दिलाते हुए इस स्वतंत्रता दिवस पर हर नागरिक से नए भारत के निर्माण में योगदान देने का संकल्प लेने तथा अगले पांच वर्षों में इसे सिद्ध करने का अभियान चलाने को कहा है।
मोदी ने आकाशवाणी पर 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा कि देश इस वर्ष 1942 की अगस्त क्रांति की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है जिसमें हर भारतीय द्वारा लिए गए संकल्प के चलते पांच वर्ष बाद करोड़ों लोगों का सपना साकार हुआ था और देश को आजादी मिली थी।
उन्होंने कहा कि आज से पांच वर्ष बाद 2022 में देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाएगा ऐसे में ये पांच साल देश के भविष्य के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं। नए भारत के निर्माण के लिए यह देश के सामने एक बार फिर संकल्प लेने और उसे सिद्ध करने का मौका है।
उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को हर भारतवासी संकल्प ले कि वह राष्ट्र के निर्माण में कुछ न कुछ योगदान देगा। हमें इस वर्ष को संकल्प वर्ष बनाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'अगर सवा-सौ करोड़ देशवासी 9 अगस्त, क्रांति दिवस को याद करके, इस 15 अगस्त को हर भारतवासी संकल्प करे, व्यक्ति के रूप में, नागरिक के रूप में - मैं देश के लिए इतना करके रहूंगा। परिवार के रूप में ये करूंगा, समाज के रूप में ये करूंगा, गांव और शहर के रूप में ये करूंगा, सरकारी विभाग के रूप में ये करूंगा, सरकार के नाते ये करूंगा। करोड़ों-करोड़ों संकल्प हों। करोड़ों-करोड़ों संकल्प को परिपूर्ण करने के प्रयास हों।
जैसे 1942 to 1947 पांच साल देश को आज़ादी के लिए निर्णायक बन गए, ये पांच साल 2017 से 2022 के, भारत के भविष्य के लिए भी निर्णायक बन सकते हैं और बनाने हैं।
मोदी ने कहा कि, 'हमें अगस्त मास संकल्प के साथ जुड़ना है और हमें संकल्प करना है। गंदगी - भारत छोड़ो, ग़रीबी - भारत छोड़ो, भ्रष्टाचार - भारत छोड़ो, आतंकवाद - भारत छोड़ो, जातिवाद - भारत छोड़ो, सम्प्रदायवाद - भारत छोड़ो। आज आवश्यकता 'करेंगे या मरेंगे' की नहीं, बल्कि नए भारत के संकल्प के साथ जुड़ने की है, जुटने की है, जी-जान से सफलता पाने के लिए पुरुषार्थ करने की है। संकल्प को लेकर के जीना है, जूझना है। आइए, इस अगस्त महीने में 9 अगस्त से संकल्प से सिद्धि का एक महाभियान चलाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगस्त महीना क्रांति का महीना होता है और उसका कारण है, एक अगस्त, 1920 – 'असहयोग आन्दोलन' प्रारंभ हुआ, 9 अगस्त, 1942 – 'भारत छोड़ो आंदोलन' प्रारंभ हुआ, जिसे 'अगस्त क्रांति' के रूप में जाना जाता है और 15 अगस्त, 1947 - देश आज़ाद हुआ।
उन्होंने कहा कि अगस्त महीने की कई घटनाएं आज़ादी की तारीख के साथ विशेष रूप से जुड़ी हुई हैं। इस वर्ष हम 'भारत छोड़ो' आन्दोलन की 75वीं वर्षगाँठ मनाने जा रहे हैं। लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि 'भारत छोड़ो' - ये नारा डॉ. यूसुफ़ मेहर अली ने दिया था।
उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को जानना चाहिए कि 1857 से 1942 तक जो आज़ादी की ललक के साथ देशवासी जुड़ते रहे, झेलते रहे वे इतिहास के पन्ने भव्य भारत के निर्माण के लिए हमारी प्रेरणा हैं। आज़ादी के वीरों ने त्याग, तपस्या, बलिदान दिए हैं, उससे बड़ी प्रेरणा क्या हो सकती है।
'भारत छोड़ो आंदोलन' भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण संघर्ष था। ये वो समय था, जब अंग्रेज़ी सत्ता के विरोध में भारतीय जनमानस हिंदुस्तान के हर कोने में, गाँव हो, शहर हो, पढ़ा हो, अनपढ़ हो, ग़रीब हो, अमीर हो, हर कोई कंधे-से-कंधा मिला करके 'भारत छोड़ो आन्दोलन' का हिस्सा बन गया था। जन-आक्रोश अपनी चरम सीमा पर था। महात्मा गांधी के आह्वान पर लाखों भारतवासी 'करो या मरो' के मंत्र के साथ अपने जीवन को संघर्ष में झोंक रहे थे।
मोदी ने कहा कि इतिहास के पन्नों को थोड़ा जोड़ करके देखें, तो भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम 1857 में हुआ। 1857 से प्रारंभ हुआ स्वतंत्रता संग्राम 1942 तक हर पल देश के किसी-न-किसी कोने में चलता रहा। इस लम्बे कालखंड ने देशवासियों के दिल में आज़ादी की ललक पैदा कर दी। हर कोई कुछ-न-कुछ करने के लिए प्रतिबद्ध हो गया। पीढ़ियां बदलती गईं, लेकिन संकल्प में कोई कमी नहीं आई। लोग आते गए, जुड़ते गए, जाते गए, नए आते गए, नए जुड़ते गए और अंग्रेज़ सल्तनत को उखाड़ करके फेंकने के लिए देश हर पल प्रयास करता रहा। इस परिश्रम ने, इस आन्दोलन ने एक ऐसी स्थिति पैदा की कि 1942 में 'भारत छोड़ो' का ऐसा बिगुल बजा कि 5 वर्ष के भीतर-भीतर 1947 में अंग्रेज़ों को जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि 1942 से 1947 - पाँच साल, एक ऐसा जन-मन बन गया, संकल्प से सिद्धि के पाँच निर्णायक वर्ष के रूप में सफलता के साथ देश को आज़ादी देने का कारण बन गए। ये पांच वर्ष निर्णायक वर्ष थे।
उन्होंने कहा कि नए भारत के निर्माण के लिए सभी को अब उसी तरह का संकल्प लेना होगा। देश को आजाद हुए क़रीब 70 साल हो गए। सरकारें आईं-गईं। व्यवस्थाएं बनीं, बदलीं, पनपीं, बढ़ीं। देश को समस्याओं से मुक्त कराने के लिए हर किसी ने अपने-अपने तरीक़े से प्रयास किए। देश में रोज़गार बढ़ाने के लिए, ग़रीबी हटाने के लिए, विकास करने के लिए प्रयास हुए। अपने-अपने तरीक़े से परिश्रम भी हुआ। सफलताएं भी मिलीं। अपेक्षाएं भी जगीं। जैसे 1942 से 1947 संकल्प से सिद्धि के एक निर्णायक पांच वर्ष थे वैसे ही अब 2017 से 2022 - संकल्प से सिद्धि के और एक पांच साल का मौका देश के सामने आया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस 2017 के 15 अगस्त को हम संकल्प पर्व के रूप में मनाएं और 2022 में आज़ादी के जब 75 साल होंगे, तब हम उस संकल्प को सिद्धि में परिणत करके ही रहेंगे। आज आवश्यकता 'करेंगे या मरेंगे' की नहीं, बल्कि नए भारत के संकल्प के साथ जुड़ने की है, जुटने की है, जी-जान से सफलता पाने के लिए पुरुषार्थ करने की है। संकल्प को लेकर के जीना है, जूझना है। सब मिलकर इस अगस्त महीने में 9 अगस्त से संकल्प से सिद्धि का एक महाभियान चलाएं। प्रत्येक भारतवासी, सामाजिक संस्थाएं, स्थानीय निकाय की इकाइयां, स्कूल, कॉलेज, अलग-अलग संगठन - हर एक भारत के लिए कुछ-न-कुछ संकल्प लें। एक ऐसा संकल्प, जिसे अगले 5 वर्षों में हम सिद्ध कर के दिखाएंगे। युवा संगठन, छात्र संगठन, गैर सरकारी संगठन आदि सामूहिक चर्चा का आयोजन कर सकते हैं। (वार्ता)