नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को शिलॉन्ग के पूर्वोत्तर इंदिरा गांधी क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संस्थान में 7,500 जन औषधि केंद्र राष्ट्र को समर्पित किए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया की फार्मेसी है। ये सिद्ध हो चुका है, दुनिया हमारी जेनरिक दवाईयां लेती है। लेकिन हमारे यहां ही उनको प्रोत्साहित नहीं किया गया।
मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये यह नया केंद्र राष्ट्र को समर्पित किया। इस केंद्र पर गुणवत्ता वाली दवाइयां उचित मूल्य पर उपलब्ध होती हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों के साथ बातचीत भी की। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना का उद्देश्य सस्ते दाम पर अच्छी दवाइयां उपलब्ध कराना है।
इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि जन औषधि योजना सेवा और रोजगार दोनों का माध्यम बन रही है। जन औषधि केंद्रों में सस्ती दवाई के साथ-साथ युवाओं को आय के साधन मिल रहे हैं। 1,000 से ज्यादा जन औषधि केंद्र तो ऐसे हैं, जिन्हें महिलाएं ही चला रही हैं। यानी ये योजना बेटियों की आत्मनिर्भरता को भी बल दे रही है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2014 से पहले जहां देश में लगभग 55 हजार MBBS सीटें थीं, वहीं 6 साल के दौरान इसमें 30 हजार से ज्यादा की वृद्धि की जा चुकी है। इसी तरह PG सीटें भी जो 30 हजार हुआ करती थीं, उनमें 24 हजार से ज्यादा नई सीटें जोड़ी जा चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना से देश के 50 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों को पांच लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया गया है। इसका लाभ 1.5 करोड़ से ज्यादा लोग ले चुके हैं, अनुमान है लोगों को इससे भी करीब 30 हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है।
वर्ष 2014 में इन केंद्रों की संख्या 86 थी। इस योजना के तहत आज इन स्टोर की संख्या 7,500 पर पहुंच गई है। देश के सभी जिलों में इस तरह के स्टोर हैं।
वित्त वर्ष 2020-21 में चार मार्च तक इन केंद्रों द्वारा दवाओं की बिक्री से नागरिकों को करीब 3,600 करोड़ रुपए की बचत हुई है। इन केंद्रों पर दवाएं बाजार मूल्य से 50 से 90 प्रतिशत सस्ती मिलती हैं।
जन औषधि के बारे में जागरूकता के प्रसार के लिए एक से सात मार्च तक देशभर में जन औषधि सप्ताह मनाया जा रहा है। इसका विषय जन औषधि-सेवा भी, रोजगार भी रखा गया है।